पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार सरकार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सरकारी विद्यालयों के अनुश्रवण के संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को आज 6 जून को एक बड़ा भारी भरकम आदेश जारी किया है। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
उन्होंने लिखा है कि शिक्षा विभाग द्वारा लगभग 8000 पदाधिकारियों/कर्मियों के माध्यम से राज्य के प्रत्येक जिले में अवस्थित सभी सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों का नियमित अनुश्रवण कराया जा रहा है।
विद्यालयों के नियमित अनुश्रवण का मूल उद्देश्य यह है कि प्रत्येक सरकारी विद्यालय का संचालन निर्धारित मानक के अनुरूप हो रहा है अथवा नहीं। यदि विद्यालय संचालन में किसी प्रकार की कमी अथवा कठिनाई है तो अनुश्रवण के माध्यम से उसे ठीक कराया जा सके, ताकि अध्ययनरत बच्चों के लिए विद्यालय में उचित शैक्षणिक वातावरण का निर्माण कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराया जा सके।
इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु विद्यालय अनुश्रवण व्यवस्था को और प्रभावी एवं सशक्त बनाने की आवश्यकता है, जिसके तहत शिक्षकों एवं बच्चों की उपस्थिति, आधारभूत संरचना के साथ ही Academic Activities, Extra Curricular Activities तथा वर्ग कक्ष संचालन इत्यादि का भी सघन अनुश्रवण किया जाय।
इस अनुश्रवण व्यवस्था से जहाँ एक तरफ विद्यालयों में कराये जा रहे विकास कार्य एवं शैक्षणिक परिवेश में सुधार परिलक्षित होंगे, वहीं दूसरे तरफ सरकारी विद्यालयों के प्रति अभिभावक एवं बच्चों में आकर्षण भी बढ़ेगा। इस क्रम में निम्नांकित निदेश दिये जाते है:
- जिला के उप विकास आयुक्त द्वारा जिला अन्तर्गत शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों में पदस्थापित सभी पदाधिकारियों (जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सहित) एवं कर्मियों को विद्यालय अनुश्रवण की जिम्मेवारी दी जायेगी।
- जिला में मानव बल की उपलब्धता के आधार पर अनुश्रवण करने वाले प्रत्येक पदाधिकारी / कर्मी को 3 माह के लिए 10 से 15 विद्यालय आवंटित किया जाय, जो इस अवधि में इन विद्यालयों के सम्पूर्ण देख-रेख में रहेंगे। विद्यालयों का आवंटन रोस्टर बनाकर किया जाय, ताकि जिला के सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों का प्रत्येक सप्ताह में कम-से-कम एक बार अनुश्रवण हो सके।
- प्रभावी अनुश्रवण हेतु आवश्यक है कि निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी आवंटित विद्यालय में पर्याप्त समय दें एवं विद्यालय का सम्पूर्णता में अवलोकन करें। इस क्रम में प्रधानाध्यापक / शिक्षक के साथ विद्यालय संचालन में आने वाली कठिनाईयों पर विमर्श कर समग्र रूप से विद्यालय को विकसित करायें ताकि उक्त विद्यालय में बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार हो सके।
- निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी, अनुश्रवण हेतु आवंटित प्रत्येक विद्यालय का प्रत्येक सप्ताह में कम-से-कम एक बार निरीक्षण / अनुश्रवण अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करेंगे। निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी द्वारा विद्यालय संचालित रहने की स्थिति में प्रत्येक सप्ताह में (तीन) दिन तक आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण किया जायेगा। निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी आवश्यकतानुसार सप्ताह में एक से अधिक बार भी आवंटित विद्यालय का अनुश्रवण कर सकते हैं।
- अनुश्रवण के दौरान विद्यालय में पाई गई कमियों को ठीक कराने हेतु अनुश्रवणकर्त्ता जिम्मेवार होंगे। आगामी सप्ताह के अनुश्रवण में विद्यालय में पाई गई कमियों के सुधार की पुनः समीक्षा करेंगे। यदि कमी यथावत पाई जाती है तो कमी दूर होने तक अनवरत प्रयास करते रहेंगे, जबतक उक्त कमी पूर्णरूपेण ठीक न हो जाय । यदि निरीक्षी पदाधिकारी / अनुश्रवणकर्त्ता पायी गई कमी को अपने स्तर से दूर कराने में सक्षम नहीं है तो उक्त समस्या को अपने उच्चाधिकारी को अवगत कराते हुए निराकरण कराना सुनिश्चित करेंगे। इस बात का भी ध्यान रखा जाय कि मात्र खानापूर्ति हेतु अनावश्यक पत्राचार नहीं किया जाय।
- उप विकास आयुक्त द्वारा प्रत्येक 3 माह पर अनुश्रवण करने वाले प्रत्येक पदाधिकारी / कर्मी का विद्यालय आवंटन से संबंधित रोस्टर परिवर्तित किया जाय एवं यह सुनिश्चित किया जाय कि विगत तिमाही में आवंटित स्कूल इस तिमाही में उक्त पदाधिकारी / कर्मी को पुनः आवंटित न हो।
- निरीक्षी पदाधिकारी / कर्मी, निरीक्षित विद्यालय का निरीक्षण प्रतिवेदन विभाग द्वारा विकसित ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे।
अनुश्रवण के दौरान देखे जाने वाले बिन्दुः
(i) आधारभूत संरचना संबंधित आदेश
(a) विद्यालय में शिक्षक एवं बच्चों की संख्या के अनुरूप वर्ग कक्ष की उपलब्धता (ब्लैक बोर्ड, चौक- डस्टर सहित ) विद्यालय भवन के रंग-रोगन इत्यादि का भी अवलोकन किया जाय।
(b) विद्यालय में निर्माणाधीन असैनिक कार्य (यदि हो) की प्रगति एवं गुणवत्ता।
(c) विद्यालय में किचेन शेड, गैस चूल्हा एवं थाली इत्यादि की उपलब्धता।
(d) छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की उपलब्धता (Running Water सहित) एवं उपयोगिता । शौचालय की साफ-सफाई एवं क्रियाशीलता को भी देखा जाय एवं यह भी देखा जाय कि शौचालयों में ताला तो बंद नहीं है।
(e) पेयजल की सुविधा यदि विद्यालय में बोरिंग कराया गया है तो यह कार्य कर रहा है या नहीं?
(f) वर्ग कक्ष में आवश्यक उपस्कर (बेंच-डेस्क इत्यादि) की उपलब्धता एवं निर्धारित मापदंड के अनुसार उसकी गुणवत्ता।
(g) माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला की उपलब्धता एवं उपयोगिता यह भी देखा जाय कि प्रयोगशाला का बच्चों द्वारा नियमित उपयोग किया जा रहा है या नहीं?
(h) माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पुस्तकालय की उपलब्धता एवं उपयोगिता। यह भी देखा जाय कि पुस्तकालय का बच्चों द्वारा नियमित उपयोग किया जा रहा है या नहीं?
(i) मध्य, माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ICT Lab की उपलब्धता एवं उपयोगिता। यह भी देखा जाय कि ICT Lab का बच्चों द्वारा नियमित उपयोग किया जा रहा है या नहीं?
(j) विद्यालय परिसर में चाहरदीवारी की उपलब्धता।
(k) विद्यालय में बिजली कनेक्सन एवं मीटर की उपलब्धता।
(I) वर्ग कक्ष में पंखा, ट्यूब लाईट एवं बल्व की पर्याप्त उपलब्धता। यह भी देखा जाय कि वर्ग कक्ष संचालन के समय विद्युत उपकरण का उपयोग किया जा रहा है अथवा नहीं?
(m) खेल मैदान की उपलब्धता एवं उपयोगिता।
(n) खेल सामग्री की उपलब्धता एवं बच्चों द्वारा उसके उपयोग की स्थिति यह भी देखा जाय कि खेल सामग्री कॉर्टन, बक्सा एवं आलमीरा में बंद तो नहीं है?
(o) विद्यालय (विशेषकर माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक विद्यालय) में सेनेटरी पैड वेडिंग मशीन एवं इन्सिनरेटर उपलब्ध है या नहीं ? यदि हाँ, तो बच्चियों द्वारा उपयोग किया जा रहा है?
(p) विद्यालय परिसर की स्वच्छता एवं सौदर्यीकरण की स्थिति।
(ii) विद्यार्थियों से संबंधित आदेश
(a) कक्षावार विद्यार्थियों का नामांकन एवं वास्तविक उपस्थिति।
(b) उपस्थित विद्यार्थी निर्धारित यूनिफॉर्म में हैं या नहीं। निरीक्षण प्रतिवेदन में यह भी अंकित किया जाय कि कितने प्रतिशत बच्चे यूनिफॉर्म में पाये गये ?
(c) विद्यार्थियों के पास पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता निरीक्षण प्रतिवेदन में यह भी अंकित किया जाय कि कितने प्रतिशत बच्चों के पास पाठ्य पुस्तक उपलब्ध है ? कक्षा 01 से 03 के बच्चे Student Kit ( Teaching Learning Material) के साथ आ रहे है या नहीं?
(d) Foundational Literacy and Numeracy (FLN) किट की उपलब्धता एवं बच्चों द्वारा इसका उपयोग। यह भी देखा जाय कि FLN किट कॉर्टन, बक्सा एवं आलमीरा में बंद तो नहीं है?
(e) कक्षा 9वीं के विद्यार्थियों द्वारा विद्यालय आने-जाने हेतु साईकिल का उपयोग ।
(f) विद्यार्थियों को पठन-पाठन से संबंधित गृह कार्य दिये जाने एवं विद्यार्थियों द्वारा गृह कार्य किये जाने की स्थिति।
(g) साप्ताहिक / मासिक मूल्यांकन, त्रैमासिक / अर्द्धवार्षिक / वार्षिक परीक्षा का आयोजन एवं विद्यार्थियों की इन मूल्यांकनों / परीक्षाओं में उपस्थिति।
(h) बच्चों को उपलब्ध कराये जा रहे मध्याहन भोजन की निरंतरता एवं गुणवत्ता यह भी देखा जाय कि प्रत्येक शुक्रवार को अंडा / मौसमी फल दिया जा रहा है या नहीं ?
(i) बच्चों के पास आधार कार्ड की उपलब्धता। आधार कार्ड नहीं रहने की स्थिति में प्रत्येक प्रखंड के दो-दो उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अधिष्ठापित आधार मशीन के माध्यम से बच्चों को आधार कार्ड बनवाने हेतु प्रेरित किया जाय।
(iii) शिक्षकों से संबंधित
(a) प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों का पदस्थापन।
(b) पदस्थापित प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों की ससमय विद्यालय में वास्तविक उपस्थिति।
(c) विद्यालय में विषय आधारित शिक्षकों की स्थिति।
(d) गैर-शैक्षणिक कर्मियों का पदस्थापन एवं उपस्थिति।
(e) समय सारिणी के अनुसार वर्ग कक्ष संचालित हो रहा है या नहीं ?
(f) शिक्षकों द्वारा संचालित वर्ग कक्ष का अवलोकन
(g) विद्यार्थियों की गृह कार्य से अर्द्धवार्षिक/ वार्षिक परीक्षा के संबंधित कॉपियों एवं साप्ताहिक / मासिक / त्रैमासिक / कॉपियों / उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की स्थिति।
(h) विद्यालय में अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन की स्थिति।
(i) शारीरिक शिक्षक, संगीत शिक्षक, नृत्य शिक्षक, ललित कला शिक्षक द्वारा उनसे संबंधित गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है या नहीं ?
(iv) अनामांकित एवं नियमित विद्यालय नहीं आने वाले बच्चों से संबंधितः
(a) निरीक्षी पदाधिकारी / अनुश्रवणकर्त्ता विद्यालय के पोषक क्षेत्र में भ्रमण कर यह भी सूचना प्राप्त करेंगे कि उक्त पोषक क्षेत्र में कोई बच्चा अनामांकित तो नहीं है ? यदि पोषक क्षेत्र में कोई बच्चा अनामांकित पाया जाता है तो विद्यालय के प्रधानाध्यापक के माध्यम से उन बच्चों का नामांकन कराना सुनिश्चित करेंगे।
(b) विद्यालय में नामांकित ऐसे बच्चें, जो नियमित रूप से विद्यालय नहीं आते है, के अभिभावक इत्यादि से सम्पर्क स्थापित कर उन्हें विद्यालय आने हेतु प्रेरित कराया जाय । राज्य मुख्यालय द्वारा प्रत्येक सप्ताह 10-10 Random विद्यालयों की सूची सभी जिला पदाधिकारी को प्रेषित की जायेगी। जिला पदाधिकारी अपने स्तर से सूची में अंकित विद्यालयों के अनुश्रवण के लिए संबंधित जिला के उप विकास आयुक्त, वरीय उपसमाहर्त्ता, अनुमण्डल पदाधिकारी को नामित करते हुए कंडिका-02 में वर्णित बिंदुओं पर चिन्हित विद्यालयों की जाँच कराकर जाँच प्रतिवेदन मुख्यालय को उपलब्ध करायेंगे। जिला पदाधिकारी एवं उप विकास आयुक्त इस निरीक्षण व्यवस्था का प्रत्येक सप्ताह समीक्षा करेंगे एवं अनुश्रवण के दौरान पाई गई त्रुटियों का निराकरण कराएंगे।
- राज्य मुख्यालय से प्रत्येक 03 माह के लिए जिलावार नोडल पदाधिकारी नामित किये जायेंगे, जो प्रत्येक सप्ताह में एक दिन जिला भ्रमण कर मुख्यालय स्तर से उपलब्ध कराये गये रोस्टरवार किसी एक प्रखंड के 05-05 Random विद्यालयों की कंडिका-02 में वर्णित बिंदुओं पर जाँच करेंगे एवं जाँच प्रतिवेदन अनुश्रवण कोषांग को समर्पित करेंगे।
- राज्य स्तर पर गठित अनुश्रवण कोषांग द्वारा ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर जिला के अनुश्रवणकर्त्ता द्वारा अपलोड किये गये जाँच प्रतिवेदन तथा जिला पदाधिकारी / राज्य मुख्यालय के नोडल पदाधिकारी से प्राप्त जाँच प्रतिवेदन का मिलान एवं समीक्षा की जायेगी। समीक्षा के क्रम में दोनो जाँच प्रतिवेदनों में भिन्नता पाये जाने को विभाग द्वारा गंभीरता से लिया जायेगा तथा अनुश्रवण के नाम पर खानापूर्ति करने वाले जिला के निरीक्षी पदाधिकारियों / कर्मियों के विरूद्ध नियमानुसार विभागीय कार्रवाई की जायेगी।
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