राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड प्रदेश की राजधानी रांची स्थित डुमरदगा बाल सुधार गृह में सोमवार की दोपहर दो गुटों में भिड़ंत हो गई। तीन बाल बंदी घायल हो गये।
सूचना पर पहुंचे सुरक्षाकर्मी ने दोनों पक्ष को शांत कराया, वही जांच के दौरान सुऱक्षा कर्मी को तीन मोबाइल और लोहे का पंजा मिला।
ऐसे में सवाल उठना लाजमि है कि बाल सुधार गृह में रह रहे नाबालिग बच्चों द्वारा आए दिन मारपीट जैसी घटनाओं को अंजाम दिए जाने की घटनाओं पर लगाम क्यूं नहीं कसी जा रही है ?
आखिर क्या वजह है कि तमाम व्यवस्था और सुरक्षा गार्डों को धता बताकर ये बच्चे आपस में भिड़ जाते हैं। हकीकत यह भी है कि इन सुधार गृहों में अव्यवस्था चरम पर है।
इन बाल सुधार गृहों की कई घटनाएं सुर्खियां भी बनी हैं, फिर भी हालात नहीं बदले। दरअसल बाल सुधार घर को खुद सुधरने की जरूरत है।
इससे पहले फरवरी माह में दो गुटों के बीच जमकर मारपीट हुई थी। 13 बाल बंद घायल हो गये थे। इसके बाद 21 बंदियों को दूसरे जिलों में शिफ्ट किया गया था। बाल संप्रेक्षण गृह को लेकर सीआईडी ने भी सुरक्षा को लेकर आगाह किया है।
जिला प्रशासन को भेजे गये रिपोर्ट में सीआईडी की टीम ने भविष्य में कोई बड़ी अप्रिय घटना घटित होने की आशंका जतायी है।
20 की जगह 155 बाल कैदीः बाल सुधार गृह में 120 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन यहां करीब 155 कैदी भरे हुए हैं। इनमें से कई सजायाफ्ता हैं और जघन्य अपराधों में सजा काट रहे हैं।
ऐसे में न तो व्यवस्था बनती है और न ही इन पर नियंत्रण ही हो पाता है। अफसरशाही ने कैदियों को तो भर दिया, लेकिन सुरक्षा को लेकर पुलिस की संख्या नहीं बढ़ाई।
मौज-मस्ती के लिये पहुंचता है प्रतिबंधित सामग्रीः बाल सुधार गृह के बंदियों से प्रतिबंधित सामान बरामदगी का सिलसिला नहीं रुक रहा है। जब भी जांच होती प्रतिबंधित सामान पकड़ा जाता है।
बाल सुधार गृह की सुऱक्षा के लिये सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं, सीसीटीवी से भी निगरानी की जाती है। बावजूद प्रतिबंधित सामान पहुंचता है। खैनी, सिगरेट, गुटखा, गांजा, शराब, मोबाइल अक्सर बरामद किया जाता है।
इतना ही नहीं इन समानों को छिपाकर रखने के लिये भवन के अंदर ही सुरंग बना रखा गया था। बाल सुधार घर के अंदर लगातार मिल रहे इन समानों से व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रही है।
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