एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। झारखंड की मनोरम वादियों को चीरती भैरवी और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिका का मंदिर देश की 52 शक्तिपीठों में से एक है।
राजधानी रांची नगर से 45 किमी दूर रामगढ़ जिले के रजरप्पा में मां छिन्नमस्तिका दिव्य रूप में देश भर के शक्ति भक्तों की आस्था का केंद्र है।
कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 6 हजार साल पहले हुआ था और असम के कामाख्या देवी मंदिर के बाद यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी शक्तिपीठ है।
देश के दूर-दराज इलाकों से श्रद्धालु यहां पूजा-अनुष्ठान कराने पहुंचते हैं। यहां सालों भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्र के दौरान मीलों लंबी लाइन लग जाती है।
भव्य मंदिर में विराजित मां छिन्नमस्तिका की प्राचीन मूर्ति की तीन आंखें हैं। खुले बाल और मुंह से निकली जीभ के साथ सिर को बाएं हाथ में लिए खड़ी हैं। दाएं हाथ में खड़ग पकड़ी हैं और गले में सर्पमाला के साथ मुंड माला है।
मंदिर परिसर में ही एक बहुत पुराना पापनाशिनी कुंड है। कहा जाता है कि इसमें नहाने से रोगों से मुक्ति मिलती है। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन मंदिर आधी रात तक खुला रहता है।
मान्यता है कि इस शक्तिपीठ में मां के दर्शन मात्र से ही लोगों की मनोकामना पूरी हो जाती है। पुराणों में उल्लेख है कि राक्षसों के आतंक से परेशान देवताओं की रक्षा के लिए माता पार्वती ने ही छिन्नमस्तिका का रूप धारण कर लिया था।
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