Home झारखंड नेता-नौकरशाह-माफिया की तिकड़ी ने मिटा डाले इन दर्जनों पहाड़ का अस्तित्व !

नेता-नौकरशाह-माफिया की तिकड़ी ने मिटा डाले इन दर्जनों पहाड़ का अस्तित्व !

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राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड में जिन पहाड़ों को बनने में करोड़ों साल लगे, पत्थर माफिया ने 20-25 साल में उन पहाड़ों को जड़ से खोद डाला। जबकि जल, जंगल और जमीन झारखंड की पहचान है। कुछ अफसरों, कर्मचारियों और खनन माफियाओं के गठजोड़ ने पत्थर के लिए पहाड़ों का अस्तित्व ही मिटा डाला।

The trio of leader bureaucrat mafia wiped out the existence of these dozens of mountains 3सीएम हेमंत सोरेन की कड़ी चेतावनी और एनजीटी की सख्ती के बावजूद पहाड़ काटे जा रहे हैं। बड़े पैमाने पर अवैध क्रशर और पत्थर खदान चल रहे हैं।

लातेहार, पलामू, बोकारो, हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह, जामताड़ा समेत 15 जिलों की ग्राउंड रिपोर्ट की तो पता चला कि 24 पहाड़ खत्म हो गए हैं। 145 काटे जा रहे हैं, यानी उनके अस्तित्व पर संकट है।

लातेहार में तापा, सोहरपाट, चरवाडीह, बकोरिया, बड़की पहाड़ीऔर पलामू में विशुनपुरा, मुनकेरी, सेमरा, खोहरीपहाड़ गायब हो गए हैं। 15 जिले में कोयला, पत्थर, ब्लू स्टोन, माइका की छोटी-बड़ी 1232 खदानें चल रही हैं।

बता दें कि खान सचिव पूजा सिंघल पर ईडी कार्रवाई के बाद यह साफ हो गया है कि राज्य में योजनाबद्ध तरीके से अवैध माइनिंग हो रही है। जहां कभी पहाड़ थे, आज उनका वजूद खत्म हो गया है।

पत्थरों से अवैध कमाई के लिए लातेहार के तापा, सोहरपाट, चरवाडीह, बकोरिया, बड़की पहाड़ी व पलामू में विशुनपुरा, मुनकेरी, सेमरा, खोहरी, मड़रिया पहाड़ का अस्तित्व मिटा दिया गया।

नेता-नौकरशाह बने अवैध खनन में सहयोगीः पहाड़ों का अस्तित्व मिटाने में नेता-नौकरशाह भी जिम्मेदार हैं। कई बड़े नेताओं व अफसरों के माइंस और क्रशर हैं। यही वजह है कि कभी किसी दल ने इसे मुद्दा नहीं बनाया।

पलामू डीसी शशिरंजन ने दो रिश्तेदारों के नाम लीज आवंटित कर दिया था। विश्रामपुर में पहाड़ तोड़कर निजी मेडिकल कॉलेज बनाया गया।

पूर्व विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी से जुड़ा मामला था, इसलिए कार्रवाई नहीं हुई। माफिया लीज स्थल से हटकर वन क्षेत्र में पहाड़ काट रहे हैं, जिसे देखने वाला कोई नहीं है।

सिमटते जंगल और प्रदूषण से लोग हो रहे बीमारः पहाड़ कटने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। मौसम में बदलाव आने लगा है। पत्थर खनन के कारण जंगल सिमट रहे हैं। नतीजतन भीषण गर्मी पड़ रही है। जीव-जंतुओं के जीवन पर संकट है।

दूसरी ओर, माफिया और उनके गुर्गे लोगों की आर्थिक मजबूरी का फायदा उठा पत्थर तोड़ने और काटने में मजदूरी करवाते हैं।

स्टोन डस्ट से ग्रामीण सिलकोसिस जैसी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। घाटशिला में कई ग्रामीणों की सिलकोसिस से मौत हो गई। अभी भी कई ग्रामीण चपेट में हैं।

रेगिस्तान बन रहा राज्यः पलामू के वन्य प्राणी विशेषज्ञ सह सेवानिवृत्त प्रो. डॉ डीएस श्रीवास्तव के अनुसार, झारखंड के हर जिले में कीमती खनिज-पत्थर पाए जाते हैं।

नेताओं की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, सरकारों का ढुलमुल रवैया व गलत नीतियां, बेलगाम अफसरशाही व पर्यावरण की अनदेखी के कारण माफिया तंत्र मजबूत हुआ।

अवैध कमाई के चक्कर में जंगल-पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई की गई। ऐसे ही चलता रहा, पहाड़ कटते रहे तो झारखंड रेगिस्तान बन जाएगा।

सबसे ज्यादा 400 अवैध खदानें हजारीबाग और 350 कोडरमा में हैं। हजारीबाग में कोयला व पत्थर निकाला जा रहा है।कोडरमा में ब्लू स्टोन की 150 खदानों के अलावा माइका व पत्थर माइंस हैं। वन और खनन विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है।

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