नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। इन दिनों नालंदा जिला स्वास्थ्य महकमा एचआईवी बांटने वाले दंपती को ढूंढने में जुटी है। लेकिन विभाग के अधिकारी-कर्मी अपना रोग छुपाकर खून देने वाले दंपति का पता लगाने में मामला उजागर होने के 4 दिन बाद भी विफल है।
खबरों के मुताबिक, यह दीगर बात है कि बिहार शरीफ सदर अस्पताल की रजिस्टर बताती है कि एचआईवी खून देने वाला व्यक्ति 10 साल से नियमित रूप से सदर अस्पताल से दवाइयां ले रहा है। ऐसे में मरीज का पूरा पता लिया जाता है। बावजूद उसे ढूंढ़ने में अधिकारियों व कमरियों को मशक्कत करनी पड़ रही है।
वहीं दूसरी ओर, एचआईवी खून लेने वाली प्रसूता तक मेडिकल टीम पहुंच चुकी है। उसका ब्लड सैम्पल लेकर एचआईवी जांच के लिए पटना भेज दिया गया है। यह प्राथमिक जांच होगी।
90 दिन बाद फिर से ब्लड सैम्पल लेकर जांच के बाद ही कहा जा सकेगा कि वह महिला एचआईवी पॉजिटिव हुई अथवा निगेटिव। इस कारण, 90 दिनों तक उस महिला को तीन सदस्यीय मेडिकल टीम की देखरेख में रखा जाएगा।
जानकारों के मुताबिक प्रसव के बाद किसी भी महिला की जांच की जाती है। जांच के दौरान यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उन्हें सुरक्षित तरीके से रहने को कहा जाता है। साथ ही, नियमित दवाइयां दी जाती हैं।
विभाग द्वारा इनकी नियमित मॉनिटरिंग भी होती है। दंपती को एड्स संक्रमण के बारे में बचाव के उपाय भी बताए जाते हैं। इस दौरान दंपती का पूरा विवरण लेकर रिपोर्ट में दर्ज की जाती है।
बावजूद, महिला ने भी प्रसव के दौरान अपने आपको को एचआईवी पॉजिटिव होने की बात स्वास्थ्यकर्मियों से छुपाई।
हालांकि, अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार का कहना है कि इस मामले को लेकर विभाग काफी गंभीर है। आखिर किस स्तर पर गड़बड़ी हुई। इसकी निष्पक्ष जांच करायी जा रही है। इसके लिए तीन सदस्यीय टीम बनायी गयी है।
लैब टेक्निशियन संतोष कुमार द्वारा भी स्पष्टीकरण दिया गया है। टीम के सदस्य अन्य कई पहलुओं पर भी जांच कर रहे हैं। जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ताकि, अगली बार से इस तरह की लापरवाही न हो।
दरअसल, बीते 3 नवंबर को सदर अस्पताल में प्रसव कराने आयी महिला को खून की आवश्यकता थी। उसके पति से खून लेकर ब्लड बैंक ने उसके बदलेएक यूनिट खून दिया। जबकि, पति और पत्नी दोनों ही एचआईवी पॉजिटिव थे। इसकी दवा भी ले रहे हैं। दोनों ने इस बात को छुपाए रखा।
प्रसव के बाद जब वह दवा लेने पहुंची, तो इस बाद का खुलासा हुआ। तब तक पॉजिटिव पुरुष से लिया गया खून दूसरी प्रसूता को चढ़ाया जा चुका था।
खूनदाता 10 साल से एचआईवी की दवा ले रहा था। ऐसे में वायरल लोड कम होने से संक्रमण फैलने की आशंका कम है। लेकिन, खून लेने वाली महिला को अभी 90 दिनों तक हर तरह की सावधानी बरतनी होगी।
90 दिन के बाद उसके खून की जांच के बाद ही सही रिपोर्ट आ सकती है। तब तक उसके घर के सदस्यों को भी एचआईवी से संबंधित सभी सावधानियों का पालन करना होगा।
खून ली गयी महिला के प्रतिरक्षण प्रणाली व वायरल लोड पर आगे की स्थिति काफी हद तक निर्भर करती है।
खूनदाताओं को इस संबंध में किसी तरह की बात नहीं छुपानी चाहिए थी। सही जानकारी छुपाने से ही ऐसी स्थिति बनी है। छह या सात साल से अधिक समय से दवा लेते रहने से एचआईवी का वायरल लोड काफी नगण्य हो जाता है।
तीन माह तक शारीरिक संबंध न बनाए। घर में भी कटने या खून बहने की स्थिति में वह खून किसी अन्य के सीधे संपर्क में न आए। महिला पूरी तरह से स्वास्थ्य पर ध्यान दे। ताकि, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।
प्रसूता होने के कारण उसके लिए पौष्टिक आहार व सही देखभाल अवश्यक है। भोजन में दूध, मछली, साग-सब्जी, फल व अन्य पौष्टिक आहार लेती रहें। नवजात बच्चे का भी पूरा ख्याल रखा जाये।
पति-पत्नी दोनों एचआईवी पॉजिटिव हैं, तो उन्हें ब्लड बैंक से मुफ्त में खून देने का प्रावधान है। इसके लिए बस उन्हें चल रहे इलाज का ब्योरा देना होता है। इस मामले में दंपती अगर संक्रमित होने की बात नहीं छुपाते, तो बिना खून दिए ही उन्हें खून मिल जाता।