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बिहार शिक्षा विभागः ACS सिद्धार्थ के लिए बड़ी चुनौती है ऐसे सरकारी स्कूल

Such government schools are a big challenge for ACS Siddharth, sensational revelation
Such government schools are a big challenge for ACS Siddharth, sensational revelation

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार शिक्षा विभाग में एक बड़ा गंभीर मामला सामने आया है। मधेपुरा जिले के पुरैनी प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने स्कूलों में उपस्थित बच्चों और शिक्षकों की संख्या को लेकर जारी फर्जीवाड़ा का एक बड़ा खुलासा किया है। जो कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय मरूआही से जुड़ी हुई है। जहां 550 नामांकित बच्चों में से केवल 295 का हाजिरी बनाना और भौतिक उपस्थिति शून्य होना विभाग के लिए चिंता का विषय बन गया है।

प्रखंड विकास पदाधिकारी ने 2 नवंबर, 2024 को विद्यालय का औचक निरीक्षण किया। जिसमें कई गंभीर त्रुटियां सामने आईं। निरीक्षण के दौरान पता चला कि विद्यालय में 11 शिक्षकों में से केवल 7 शिक्षकों के हस्ताक्षर शिक्षकों की उपस्थिति पंजी में बने थे।

इसके अलावा 3 शिक्षक आकस्मिक अवकाश पर थे और 1 शिक्षक चिकित्सा अवकाश पर। लेकिन विद्यालय में केवल 1 शिक्षक लालू कुमार भौतिक रूप से उपस्थित पाए गए। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि प्रभारी प्रधानाध्यापक जवाहर मंडल सहित 6 शिक्षक उपस्थिति पंजी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर बिना किसी सूचना के विद्यालय से अनुपस्थित पाए गए।

आश्चर्यजनक रूप से जब विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या 550 है तो छात्र उपस्थिति पंजी और IVRS में 295 बच्चों की उपस्थिति दर्शाई गई। जबकि भौतिक उपस्थिति पूरी तरह से शून्य थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि विद्यालय में शिक्षा के संचालन में लापरवाही बरती जा रही थी।

निरीक्षण के दौरान मध्याह्न भोजन योजना भी बंद पाई गई। इससे साफ जाहिर है कि प्रभारी प्रधानाध्यापक ने योजना की राशि में गबन की मंशा पाल रखी है।

प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जांचोपरांत प्रभारी प्रधानाध्यापक को एक कड़ा पत्र भेजा है। जिसमें उन्हें 24 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। साथ ही यह चेतावनी दी है कि यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो उनके वेतन को स्थगित करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई शुरू की जाएगी। क्योंकि शिक्षकों की अनुपस्थिति और छात्रों की शून्य उपस्थिति गंभीर स्थिति दर्शाती है।

वेशक यह मामला न केवल शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है। बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे कुछ शिक्षकों की लापरवाही बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर सकती है। शिक्षा विभाग को अब इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोका जा सके और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार मिले।

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