आदिवासी सेंगेल अभियान की ‘सरकार गिराओ, झारखंड बचाओ’ रैली (जन अदालत) में खुल कर बोले नीतिश
नीतीश कुमार बुधवार को मोरहाबादी मैदान में आदिवासी सेंगेल अभियान (जन अदालत) के ‘सरकार गिराओ, झारखंड बचाओ’ रैली को संबोधित कर रहे थे।
नीतीश ने कहा कि आदिवासियों का मूल पेशा खेती है। अगर कृषि योग्य भूमि की प्रकृति बदल कर गैर कृषि योग्य की गई तो उन्हें दोनों एक्ट से सुरक्षा नहीं मिल पाएगी। एक्ट में संशोधन सीधे-सीधे आदिवासियों-मूलवासियों की गला दबाकर हत्या करने जैसी होगी। नीतीश ने कहा कि 2013 में बने भूमि अधिग्रहण कानून में प्रावधान है कि अधिग्रहण से पहले 70 फीसदी लोगों की सहमति ली जाएगी। लेकिन यहां बड़े पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के लिए जबरन जमीन लेने की कोशिश हो रही है। उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि वह आदिवासियों की भावनाओं को समझते हुए संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दें।
उन्होंने कहा कि यहां फैक्ट्रियां बंद हैं। जो चल रही है, वह संभल नहीं रहा। और नया खोलने की बात करते हैं। उद्योगपतियों का सम्मेलन तो बहुत हो जाएगा, लेकिन लाेगों की मूल भावनाओं का विरोध कर विकास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जब गैर आदिवासी सीएम ही बनाना था तो फिर अलग झारखंड की क्या जरूरत थी। गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर झारखंड की भावना के साथ खिलवाड़ किया गया है।
शराबबंदी पर भी रघुबर सरकार को घेरा
नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री रघुवर दास का नाम लिये बगैर खूब चुटकी ली। उन्होंने कहा कि यहां कुछ करने से ज्यादा बोला जाता है। उन्होंने शराबबंदी पर भी राज्य सरकार को घेरा। नीतीश ने कहा कि उन्होंने यहां के सीएम से शराबबंदी में सहयोग मांगा था, लेकिन कुछ नहीं मिला।
नीतीश ने कहा कि लोग भ्रम फैला रहे हैं कि शराब आदिवासियों की परंपरा का हिस्सा है। ऐसा कुछ नहीं है। शराब से किसी का भला नहीं हो सकता। इसलिए शराबबंदी का समर्थन जरूरी है।