पटना [INR]। हजारीबाग कोर्ट ने बाइस साल पहले विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में पूर्व सांसद और राजद नेता प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उनके साथ उनके दो सहयोगियों, दीनानाथ सिंह और पूर्व विधायक रितेश सिंह को भी दोषी करार दिया गया है।
प्रभुनाथ सिंह को मशरक से विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में झारखंड के हजारीबाग कोर्ट ने दोषी करार दिया है। इस मामले में तीनों आरोपियों को 23 मई को सजा सुनाई जाएगी।
3 जुलाई 1995 को कर दी गई थी अशोक सिंह की हत्या: विधायक अशोक सिंह की हत्या 3 जुलाई 1995 को पटना में उनके सरकारी आवास 5 स्टैण्ड रोड में बम मार कर कर दी गई। उस समय वो आरजेडी के मशरख विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। हत्या का मुख्य आरोपी प्रभुनाथ सिंह को बनाया गया था। बता दें कि प्रभुनाथ सिंह को हराकर ही अशोक सिंह मशरख से विधायक बने थे।
प्रभुनाथ सिंह को गिरफ्तार कर छपरा जेल भेजा गया थाः अशोक सिंह मामले में गिरफ्तार प्रभुनाथ सिंह के छपरा जेल में रहते कानून व्यवस्था बिगड़ रही थी, जिसके चलते उनको हजारीबाग जेल शिफ्ट किया गया। उस समय झारखंड अलग राज्य नहीं बना था। प्रभुनाथ सिंह के आवेदन पर ही हजारीबाग में इस केस का ट्रायल चला और 22 साल के बाद आज बृहस्पतिवार को अदालत ने फैसला सुनाया है।
अशोक सिंह की पत्नी ने दर्ज कराया था केसःअपने पति अशोक सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी चांदनी देवी ने प्रभुनाथ सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसमें प्रभु नाथ सिंह के अलावा उनके भाई दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह को आरोपी बनाया गया था।
बाहुबली नेता के रूप में जाने जाते हैं प्रभुनाथ सिंहः सीवान जिले के महाराजगंज सीट के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल से हुई थी। प्रभुनाथ सिंह जदयू से महराजगंज के सांसद थे। बाद में आरजेडी में आ गए। प्रभुनाथ सिंह एक जमाने में नीतिश कुमार के बेहद करीबी थे और बाद में लालू प्रसाद यादव के नजदीक आए।
दबंग नेता के रूप में उनकी पहचान है। बिहार में सरकार किसी की भी हो, प्रभुनाथ सिंह और उनके करीबी हमेशा यही कहते नजर आते कि सारण के सीएम प्रभुनाथ सिंह हैं।
कौन थे विधायक अशोक सिंहः अशोक सिंह मशरक के जनता दल से उस समय विधायक थे। 28 दिसंबर, 1991 को मशरक के जिला परिषद कांप्लेक्स में उन पर गोलियों से ताबड़तोड़ फायरिंग की गयी थी, जिसमें वे तब बिल्डिंग में छिप कर किसी तरह बच गये थे। लेकिन कुछ साल बाद 1995 में पटना स्थित उनके आवास पर बम मार कर उनकी हत्या कर दी गयी थी। इस मामले प्रभुनाथ सिंह सहित अन्य दो लोगों पर आरोप लगा था।
शहाबुद्दीन से हुई थी अन-बनः इसी दौरान उनका सामना सीवान के पूर्व दबंग सांसद शहाबुद्दीन से हुआ और दोनों को एक-दूसरे के दुश्मन के तौर पर देखा जाने लगा। अक्सर इन दोनों के बीच झड़पें हो जाती थीं। हालांकि, दोनों का ही अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में वर्चस्व रहा है।
महाराजगंज से लड़ा था पहली बार लोकसभा चुनावः प्रभुनाथ सिंह ने पहली बार महाराजगंज संसदीय सीट से साल 2004 में जदयू के टिकट पर जीत हासिल की। इससे पहले वे क्षेत्रीय स्तर की राजनीति में जदयू की तरफ से सक्रिय रहे। हालांकि, 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में राजद के प्रत्याशी उमाशंकर सिंह ने प्रभुनाथ को 3,000 वोटों से हरा दिया था। 2012 में वे जदयू से अलग हो गए और राजद के सदस्य बन गए।
Related articles across the web
Fodder scam: Lalu Prasad Yadav to face trial for criminal conspiracy, says Supreme Court कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है – By Dr. Kumar Vishvas मुसद्दी लाल की गवाही (skit for Sewak Day 2010) I don’t believe in plonking “a Gehry here, a Gehry there”, says Kerry Hill Times Now Accuses Arnab Of Stealing Sensitive, Confidential Data; Files FIR Against Republic TV Officials BJP leaders commend Arnab Goswami as he launches Republic TV with a Lalu Prasad-Shahabuddin exposé