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बिहार में ग्रामीण बैंकों का ऐतिहासिक कदम, विलय बाद मिला नया नाम

बिहार में ग्रामीण बैंकों का यह विलय एक ऐतिहासिक कदम है, जो न केवल बैंकिंग सेवाओं को सुदृढ़ करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। यह कदम बिहार के लोगों के लिए समृद्धि और सुविधा का प्रतीक बन सकता है....

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के बैंकिंग क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है, जहां उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का विलय हो गया है। इस विलय के बाद अब बिहार में केवल एक ग्रामीण बैंक होगा। जिसका प्रधान कार्यालय पटना में स्थापित किया गया है। इस नए एकीकृत ग्रामीण बैंक का प्रायोजक बैंक पंजाब नेशनल बैंक होगा। यह विलय बिहार के 5.50 करोड़ ग्राहकों के लिए नई सुविधाओं और अवसरों का द्वार खोलेगा।

बिहार में ग्रामीण बैंकों का विलय कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2005 से इस प्रक्रिया की शुरुआत हुई, जब राज्य में 16 ग्रामीण बैंक मौजूद थे। समय के साथ कई विलय हुए। जिसके परिणामस्वरूप बैंकों की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई।

वर्ष 2005: भागलपुर, बांका, मुंगेर और बेगूसराय ग्रामीण बैंकों का विलय कर बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की स्थापना की गई।

वर्ष 2006: भोजपुर, रोहतास, मगध, पाटलिपुत्र और नालंदा ग्रामीण बैंकों का विलय कर मध्य बिहार ग्रामीण बैंक बनाया गया। साथ ही, सारण, गोपालगंज, सीवान, मधुबनी, मिथिला, वैशाली और चंपारण ग्रामीण बैंकों का विलय कर उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई।

वर्ष 2008: कोशी ग्रामीण बैंक का विलय उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में कर दिया गया।

वर्ष 2019: मध्य बिहार ग्रामीण बैंक और बिहार ग्रामीण बैंक का विलय कर दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई।

इन विलयों के बाद बिहार में केवल दो ग्रामीण बैंक बचे थे- उत्तर और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक। अब 2025 में इन दोनों का विलय हो जाने से राज्य में केवल एक ग्रामीण बैंक रह गया है, जो बिहार के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को और सुदृढ़ करेगा।

इस एकीकरण से बिहार के 5.50 करोड़ ग्राहकों को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। ग्राहकों को अब प्रदेश के किसी भी हिस्से में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। खाता और एटीएम को प्रदेश के किसी भी ग्रामीण बैंक शाखा से सक्रिय किया जा सकेगा।

इसके अलावा ग्राहक अपने खाते की जांच किसी भी शाखा से कर सकेंगे। एकीकृत बैंकिंग प्रणाली के कारण ग्राहकों को सभी सेवाएं एक ही मंच पर उपलब्ध होंगी। जिससे बैंकिंग अनुभव अधिक सुगम और त्वरित होगा।

विलय का लाभ केवल ग्राहकों तक सीमित नहीं है, बल्कि बैंक कर्मचारियों के लिए भी कई सकारात्मक बदलाव लाएगा। एकीकृत बैंक में रिक्तियां एक साथ निकाली जाएंगी। जिससे नौकरियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। कर्मचारियों का स्थानांतरण उनके गृह जिले में किया जाएगा, जिससे उनकी कार्य-जीवन संतुलन में सुधार होगा। बैंक को अपने ओवरहेड खर्चों को कम करने में मदद मिलेगी। जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

वहीं विलय के बाद नए ग्रामीण बैंक में एक चेयरमैन और एक बोर्ड होगा। जिससे प्रशासनिक कार्यों में एकरूपता आएगी। बोर्ड में सदस्यों की संख्या कम होगी, लेकिन सभी जिलों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होगी और बैंक का प्रबंधन अधिक प्रभावी होगा।

माना जा रहा है कि यह विलय बिहार के ग्रामीण बैंकिंग क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करने वाला है। एकीकृत ग्रामीण बैंक न केवल ग्राहकों और कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि यह बिहार के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ने से छोटे व्यवसायों, किसानों और आम नागरिकों को वित्तीय समावेशन का लाभ मिलेगा।

इसके साथ ही पंजाब नेशनल बैंक जैसे मजबूत प्रायोजक बैंक की भागीदारी से नए ग्रामीण बैंक को तकनीकी और वित्तीय सहायता मिलेगी। जिससे यह डिजिटल बैंकिंग और नवीन वित्तीय उत्पादों की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा सकेगा।

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