इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़ ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान को एक रेव पार्टी से गिरफ़्तार किया है। आर्यन पर आरोप हैं कि उन्होंने ड्रग्स ख़रीदे और उनका सेवन किया था।
कोर्डेलिया क्रूज़ पर हुई कथित रेव पार्टी में आर्यन ख़ान के अलावा आठ और लोगों को हिरासत में लिया गया था। इसके बाद से रेव पार्टियों और उनमें ड्रग्स के इस्तेमाल पर चर्चा शुरू हो गई है।
रेव पार्टियाँ केवल पार्टी सर्किट से जुड़े हुए कुछ चुनिंदा लोगों के लिए आयोजित की जाती हैं। नए लोगों को इन पार्टियों में आने की अनुमति नहीं दी जाती, ताकि इसकी जानकारी ना फैले।
रेव पार्टियाँ ड्रग लेने वालों और बेचने वालों के लिए एक सुरक्षित जगह होती हैं। रेव पार्टियों में बड़ी मात्रा में ड्रग्स लिया जाता है। रेव पार्टियों में एक्सटेसी, केटामाइन, एमडीएमए, एमडी और चरस भी लिया जाता है।
पार्टी के दौरान तेज़ आवाज़ में इलेक्ट्रिक ट्रांस म्यूज़िक चलता है ताकि ड्रग लेने वाले लंबे समय तक एक ही तरह के मूड में रहें। लोग ड्रग्स लेते हैं और इस म्यूज़िक पर झूमते हैं। ये पार्टियाँ 24 घंटों से लेकर तीन दिनों तक चलती हैं।
जानकारों के मुताबिक, रेव पार्टी में एक ख़ास तरह का म्यूज़िक सिस्टम होता है, ताकि इलेक्ट्रिक ट्रांस म्यूज़िक को तेज़ आवाज़ में चलाया जा सके। इसमें लेज़र से रंगीन तस्वीरें, विज़ुअल इफ़ेक्ट्स और धुआँ निकालने वाली मशीनें भी खूब इस्तेमाल की जाती हैं।
आर्यन मामले में छापा मारने वाले अधिकारियों के साथ गए एक मुखबिर ने बताया, “रेव पार्टियों में चलने वाले गानों में बहुत कम शब्द होते हैं। ट्रांस म्यूज़िक एक काल्पनिक या भ्रमित करने वाला वातावरण पैदा करता है और लोगों को वो अच्छा लगता है।”
इन पार्टियों की योजना से लेकर आयोजन तक में कोड भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। ये पार्टियाँ दूर-दराज़ जगहों पर की जाती हैं ताकि किसी को शक ना हो।
रेव पार्टियाँ बहुत ही गुपचुप तरीक़े से आयोजित होती हैं। इसलिए जाँच एजेंसियों की नज़र से बचने के लिए कई तरीक़े अपनाए जाते हैं। रेव पार्टी में बुलाने के लिए सोशल मीडिया और कोड भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।
रेव पार्टी की जानकारी देने के लिए पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल काफ़ी बढ़ गया है। इन पार्टियों का हिस्से रहे लोगों का एक छोटा समूह बनाया जाता है जो दूसरों तक पार्टी की जानकारी पहुँचाते हैं।
क्योंकि रेव पार्टियों में बड़ी मात्रा में ड्रग्स का इस्तेमाल होता है इसलिए ये जंगल या ऐसे इलाक़ों में की जाती हैं, जो पुलिस की पहुँच से बाहर हों।
पार्टी के आयोजक इसके लिए कुछ गुप्त कोड का इस्तेमाल करते हैं। इन पार्टियों में कोई भी जब चाहे शामिल नहीं हो सकता। कई बार पार्टी की जानकारी सिर्फ़ एक-दूसरे के ज़रिए बोलकर दी जाती है।
रेव पार्टियों में बहुत कम लोग बुलाए जाते हैं। ये चुने हुए ग्रुप होते हैं। इन पार्टियों में शामिल होने के लिए हज़ारों-लाखों ख़र्च करने पड़ते हैं। इसलिए सामान्य लोग इसमें नहीं जा सकते। ये पार्टियाँ बेहद अमीर लोगों के लिए होती हैं। लेकिन, पिछले कुछ सालों में मध्यमवर्गीय युवा भी अपने अमीर दोस्तों के साथ इस सबका हिस्सा बनते पाए गए हैं।
आर्यन मामले से पहले मुंबई पुलिस ने 2009 में मुंबई के जुहू इलाक़े में बॉम्बे 72 क्लब में छापा मारा था। पुलिस ने छापेमारी में 246 युवाओं को हिरासत में लिया था। इनमें से कई लोगों की ख़ून की जाँच में ड्रग्स लेने की पुष्टि हुई थी।
रायगढ़ पुलिस ने साल 2011 में खालापुर में एक रेव पार्टी में छापा मारा था। एंटी-नारकोटिक्स सेल के अधिकारी अनिल जाधव को भी इस मामले में शामिल होने को लेकर गिरफ़्तार किया गया था।
पार्टी में पकड़े गए लोगों में से 275 की ख़ून की जाँच में ड्रग्स लेने की पुष्टि हुई थी। 2019 में जुहू के ऑकवुड होटल में छापेमारी के दौरान 96 लोगों को पकड़ा गया था। (समाचार स्रोतः बीबीसी हिन्दी)।