एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क / मुकेश भारतीय। बिहार में पिछले डेढ़ दशक से येन-केन-प्रकेरेन सत्तासीन सीएम नीतीश कुमार इन दिनों मुगालते में हैं। उन्हें भ्रम है कि उनके राज का मतलब सुशासन और विकास है। लेकिन सच तो यह है कि सूबे के चप्पे-चप्पे में अराजकता और कुशासन कायम है।
बीते दिन झंझारपुर कोर्ट में जो कुछ भी हुआ, वह बिहार की भयावह तस्वीर पेश करती है। कानून व्यवस्था नियंत्रित करने की जवाबदेही जिन पुलिस पर है, वे ही उदंड हो गए। हालांकि पुलिस काफी तनाव भरे माहौल में कार्य करती है। लेकिन एक जज पर हमला काफी अशोभनीय कृत्य है।
सच भी है कि पुलिस की अपनी बिगड़ती कार्यशैली है और जज की अपनी न्यायिक बाध्यता। जबकि दोनों के कार्य अंतिम नागरिक में सुरक्षा भावना बनाए रखना ही है। लेकिन दोनों तरफ काफी खामियां देखने को मिल रही है। सच कहें तो आपसी मर्यादा का हनन की दोनों पक्ष बढ़ रहे हैं। जोकि काफी खतरनाक संकेत हैं।
खबरों के मुताबिक झंझारपुर कोर्ट के विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष एडीजे प्रथम अविनाश कुमार पर उनके चैंबर में घुसकर गुरुवार को घोघरडीहा थाने के दो पुलिस पदाधिकारियों थानेदार गोपाल प्रसाद यादव और दरोगा अभिमन्यु शर्मा ने हमला कर दिया। इसमें एडीजे बुरी तरह जख्मी भी हो गए। उनके हाथ और होंठ पर चोट के निशान हैं।
विधिक सेवा समिति के समक्ष कुछ दिन पूर्व घोघरडीहा के भोलीरही गांव की महिला उषा देवी ने थानाध्यक्ष के द्वारा उनपर झूठा मुकदमा दर्ज कराने को लेकर आवेदन दिया था। जिस पर थानेदार को कोर्ट ने बुधवार को तलब किया गया था।
लेकिन, उस दिन पुलिस कर्मी उपस्थित नहीं हुए। गुरुवार दोपहर दो बजे के बाद आते ही थानेदार और दरोगा जज के कक्ष में उनके साथ पहले अभद्र व्यवहार करने लगे, इसके बाद उनके साथ मारपीट की।
इसी दौरान थानाध्यक्ष ने अपनी रिवाल्वर निकालकर जज पर तानते हुए उन्हें जान से मारने की धमकी भी दे डाली। चीख-पुकार सुनते ही कोर्ट कर्मी जज के चैंबर तक पहुंचे और दोनों आरोपी को पकड़कर एक कोठरी में बंद कर दिया।
सूचना पर एसडीपीओ कोर्ट पहुंचे और दोनों पुलिसकर्मियों को हिरासत में ले लिया है। बाद में मधुबनी जिला जज समेत तमाम आला अफसरों ने वहां पहुंच कर मामले की पड़ताल की।
डीजीपी और एसपी पटना हाईकोर्ट में तलबः जज अविनाश कुमार के भेजे गए लेटर पर पटना हाईकोर्ट ने बिहार के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी, गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी एसपी को नोटिस जारी किया है।
डीजीपी को सील्ड कवर में 29 नवंबर तक स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने को कहा है। इसी दिन मामले में हाईकोर्ट खुद सुनवाई करेगी।
झंझारपुर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बलराम साह के अनुसार हंगामा होते ही वे जज के चैंबर में घुसे। उन्होंने देखा कि दरोगा अभिमन्यु कुमार जज अविनाश कुमार पर पिस्टल ताने हुए हैं, साथ ही गंदी-गंदी गालियां भी दे रहे हैं। इसके बाद वहां मौजूद सभी वकील और कोर्ट में रहने वाले पुलिसकर्मी आए और जज को सुरक्षित निकाला। वे डर से थर-थर कांप रहे थे।
जज ने यूं दर्ज कराई एफआइआरः “हमारा नाम अविनाश कुमार उम्र 45 वर्ष वर्तमान में मैं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर झंझारपुर कोर्ट में पदस्थापित हूं। 18.11.21 को दोपहर 2 बजे अपने चैंबर में अपना बयान स्वेच्छा से अंकित करता हूं कि 16.11.21 को मुझे घोघरडीहा थानाध्यक्ष के खिलाफ घोघरडीहा प्रखंड के भोलीराही निवासी उषा ने देवी की ओर से मुझे बीते मंगलवार को एक आवेदन प्राप्त हुआ। जिसमें पीड़ित ने बताया कि घोघरडीहा के थानाध्यक्ष ने उसके पति, ननद, वृद्ध सास व ससुर को झूठे मुकदमे में फंसा दिया है। साथ ही, पति के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत की। शिकायत मिलने के बाद मैंने सत्यता जाने के लिए 16.11.21 को ही थानाध्यक्ष को पक्ष रखने की सूचना फोन पर दी। लेकिन थानाध्यक्ष आने से टालमटोल करते रहे। इसके बाद थानाध्यक्ष को गुरुवार को 11 बजे आने का समय दिया गया। थानाध्यक्ष निर्धारित समय पर न आकर दोपहर 2 बजे मेरे चैंबर में पहुंचे। चैंबर में प्रवेश करते ही थानाध्यक्ष ऊंची आवाज में बात करने लगा। जब हमने शांति से बात करने को कहा तो उसने कहा कि हम इसी अंदाज में बात करेंगे। क्योंकि यही मेरा अंदाज है। इसी बीच थानाध्यक्ष ने गाली गलौज शुरू करते हुए कहा कि तुम मेरे बॉस (एसपी साहब) को नोटिस देकर कोर्ट बुलाते हो। आज तुम्हारी औकात बता देता हूं। इसी बीच थानाध्यक्ष का सहयोगी एसआई अभिमन्यु कुमार शर्मा भी जबरन हमारे चैंबर में घुस आया। इसके बाद दोनों ने मिलकर मारपीट शुरू कर दी। जब हमने वरीय अधिकारियों से शिकायत की बात कही तो थानाध्यक्ष ने कहा कि एसपी साहब के आदेश व समर्थन मिलने के बाद ही आया हूं, तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाने। तुम हमारे साहब (एसपी डॉ. सत्य प्रकाश) को नोटिश भेजकर कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश देते हो। साथ ही, मुझे भी नोटिश भेजते हो। तुम्हारी क्या औकात है, यह आज हम तुम्हें बताते है। इतना कहते हुए थानाध्यक्ष गोपाल कृष्ण मारपीट शुरू कर देते है। चैंबर में मारपीट शुरू होते ही थानाध्यक्ष के सहयोगी एसआई अभिमन्यु कुमार भी मारपीट शुरू कर दिया। इसी दौरान थानाध्यक्ष ने अपना सर्विस रिवॉल्वर निकालकर मुझे पर तानते हुए कहा कि आज मैं तुम्हें दुनिया से रुक्सत (विदा) ही कर देते हूं। क्योंकि तुमने हमारे बॉस (एसपी साहब) को परेशान कर रखा है। बॉस के आदेश पर ही हम तुम्हे तुम्हारी औकात दिखाने आए है ”।
जज अविनाश कुमार के चर्चित फैसलेः जज अविनाश कुमार ने इसी साल सितंबर में लोकहा थाने के एक मामले में अनोखा आदेश दिया था।
जज ने छेड़छाड़ के आरोपी ललन कुमार साफी को 6 महीने महिलाओं के कपड़े मुफ्त में धोने और आयरन करने की शर्त पर रेगुलर बेल दी थी।
एक अन्य मामले में शिक्षक को पहली क्लास से 5वीं तक के गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने की शर्त पर जमानत दी थी।
जज अविनाश कुमार की कोर्ट ने भैरव स्थान थाने में दर्ज एक FIR में पॉक्सो एवं बाल विवाह अधिनियम 2006 नहीं लगाने पर केंद्र और राज्य सरकार को 14 जुलाई 2021 को एक साथ पत्र जारी किया था।
इसमें मधुबनी एसपी, झंझारपुर डीएसपी और भैरव स्थान थाना के अलावा व्यवहार कोर्ट के एक अधिकारी पर सवाल खड़े किए थे। उनको कानून की जानकारी नहीं होने की बात कही थी।