“ 21वीं सदी में भी मानव आदिम और वहशी बन जाता है। कानून को अपने हाथ में लेने से नहीं डरती है। तालिबानी बन जाती है। भीड़ तंत्र का हिस्सा बन जाती है। मॉब लीचिंग की घटनाएं दोहरा जाती है। ऐसी ही एक मॉबलीचिंग की घटना होते-होते रह गई…
बिहार शरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। यह तस्वीर नालंदा के चंडी थाना क्षेत्र की है। जहां पेड़ से बंधा एक युवक एक कोचिंग संचालक हैं। जिसे दर्जनों लोग घेरे खड़े हैं। उसे पीपल के पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीट रहे हैं।
जिसे जो मिला उसी से युवक को पीट रहे हैं। महिलाएं युवक को ईंटों से पीट रही है। उसकी आंखों में अंगूलियां डालने की कोशिश कर रहीं हैं। यहां तक कि बगल की खाई में उसका मुंह डालकर मारने की कोशिश की गई। वहीं जमीन पर पड़ा एक और युवक को लोग पीट रहे हैं।
युवक का कसूर सिर्फ इतना है कि लड़की जिस के साथ भागी हैं, वह इन दोनों का साथी था। लड़की के परिजन पहले ही इस मामले में कोचिंग संचालक के खिलाफ केस दर्ज करा चुके हैं।
फिर भी इस एफआईआर से उनका मन नहीं भरा तो एक साज़िश के साथ कोचिंग कार्यालय में बैठे संचालक को बुलाकर ले जाते हैं। जहां पहले से ही दर्जनों लोग उनके स्वागत में खड़े मिले।
स्कूल संचालक को पेड़ से बांधा फिर बेरहमी से पिटाई की। युवक गिड़गिड़ाते रहा। मनुहार करते रहा कि उसे अपने साथी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। फिर भी लोग बहशी बने रहे, पीटते रहे। जब तक वे थक नहीं गये।
कोचिंग संचालक के एक साथी ने चंडी थाना में दो बार फोन कर अपने दोस्त को बचा लेने की गुहार की, लेकिन पुलिस नहीं पहुंची। एक चौकीदार ने खुद पिटाई खाकर कोचिंग संचालक को बचाकर लाई।
फिलहाल, कोचिंग संचालक पटना के एक निजी अस्पताल में जिंदगी व मौत से जूझ रहा है। अब सवाल वही है कि आज भी लोग किस अंधकूप में जी रहे हैं। जहाँ मानवता सभ्यता के अंधे तहखाने में दफन होता जा रहा है।
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