एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिला मुख्यालय में एक वरीय अफसर पदास्थापित हैं। उनका पद है एसडीसी या सीनियर डिप्टी कलेक्टर। इनका नाम है ब्रजेश कुमार।
आज 27 अगस्त को पटना से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक अखबार में उन्हें जिस तरह से भारशील अफसर के रुप उकेरा है, उससे वे काफी गदगद है। आखिर वे हों क्यों नहीं। अखबार में उन्हें लेकर प्रमुखता से प्रचार जो किया है कि ई साहब फिलहाल 14 विभागों के प्रभार में हैं। जबकि जिले में ऐसा कोई अधिकारी नहीं, जिनके जिम्मे कम से कम 2-3 विभाग न हो।
जबकि विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अखबार ने जिस ‘डीएम के ओएसडी के प्रभार में काम कर रहे डिप्टी कलेक्टर ब्रजेश कुमार 14 विभागों के प्रभार में हैं’ बताया है, उनके पास सिर्फ डीआरसीसी, बैंकिंग के अलावा कोई चार्ज नहीं है और बैंकिंग में कोई खास रोल सीनियर डिप्टी कलेक्टर का होता नहीं है।
डीआरसीसी में कुल सात प्रबंधक और 30 ऑपरेटर होता है, उसमे भी उनके लिये कोई कुछ खास करने के लिये नहीं है। ये साहब महीना में मुश्किल से दो-चार दिन कामकाजी रहते हैं।
इस सबंध में जब एसडीएम ब्रजेश कुमार से पड़े भारी ‘वर्क लोड’ की बाबत पूछा गया तो उनका कहना था कि खबर छापने वाले से जानकारी ले लीजिये या फिर मुझसे जानना है तो कार्यालय आ जाइये। हम टेलीफोनिक बात नहीं करते।
बहरहाल, ऐसे अफसर 14 प्रभार से भी हलका महसूस करते हैं तो इनकी वर्क स्टेमना को देखते हुये 44 प्रभार तो जरुर दे दिये जाने चाहिये, ताकि बोझ तले दबे अन्य अफसरों को थोड़ी राहत मिल सके।
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