“सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिल्डर से सरकारी पैसा कैसे वापस आएगा। बिल्डर संजय तिवारी ने अपने खाते में आए सौ करोड़ में से 50 करोड़ निकाल लिए हैं। बैंक अफसरों ने पहले संजय तिवारी से पूरी रकम जमा करने को कहा, मगर अंदरूनी सूत्रों के अनुसार उसने कह दिया कि वह तीस करोड़ रुपये समाज सेवा पर खर्च कर चुका है।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड की राजधानी रांची में मिड डे मील के लिए स्टेट बैंक ऑफ धुर्वा शाखा में पांच अगस्त को रखे गए शिक्षा विभाग के सौ करोड़ रुपये बिल्डर भानु कंस्ट्रक्शन के पार्टनर संजय तिवारी के खाते में ट्रांसफर करने वाले डिप्टी मैनेजर अजय उरांव और कमलजीत खन्ना को सस्पेंड कर दिया गया है।
यह केस सामने आने के बाद स्टेट बैंक ने खुद ही सौ करोड़ रुपये मिड-डे मील के खातों में जमा कर दिए हैं। संजय तिवारी के खाते खंगाले गए हैं। उसका एक खाता इसी ब्रांच में है। पांच दूसरे खातों का भी पता चला है। उसके एक खाते में पचास करोड़ और दूसरे खातों में बीस करोड़ रुपये मिले हैं। इन्हें सीज कर दिया गया है।
जब यह साफ हो गया कि बिल्डर पैसा लौटाने वाला नहीं है तो दो अफसरों को सस्पेंड कर केस सीबीआई को भेज दिया गया। रांची सीबीआई अफसरों ने कहा कि 25 करोड़ से ज्यादा के गबन का केस होने के कारण इसकी जांच कोलकाता टीम ही करेगी।
पैसा ट्रांसफर करने वाले डिप्टी मैनेजर अजय उरांव ने तर्क दिया है कि उन्होंने गलती से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन (आरटीजीएस) के जरिए गलत खाते में रकम ट्रांसफर कर दी।
यही दलील उनसे सीनियर डिप्टी मैनेजर खन्ना की भी है कि उन्होंने निचले अफसर की एंट्री ठीक से चेक नहीं की। मगर रीजनल अफसरों और सीबीआई के सामने यही सबसे बड़ा सवाल है कि यह गलती से हुआ या मिलीभगत से?
बैंक मैनेजर अभी पूरी तरह मुंह नहीं खोल रहे हैं। सूचना है कि पंद्रह चेक के जरिए सौ करोड़ रुपये बिल्डर के खाते में ट्रांसफर किए गए, मगर बैंक अफसर कह रहे हैं कि सिर्फ एक ट्रांजैक्शन हुआ है।
बैंक ने 22 सितंबर को सरकार के मिड डे मील खाते में सौ करोड़ रुपए खुद जमा करा दिए हैं। बिल्डर संजय तिवारी ने सौ करोड़ में से 50 करोड़ रुपए निकाल लिए थे। बैंक ने उसके खाते को अटैच कर बचे 50 करोड़ वापस ले लिए।
बाकी 50 करोड़ की वसूली के लिए एसबीआई ने उसके छह अन्य बैंकों के खाते को अटैच किया तो उनमें 20 करोड़ ही मिले। संजय तिवारी अब फरार बताया जा रहा है।
स्कूली शिक्षा सह साक्षरता विभाग के प्राथमिक निदेशक मीणा ठाकुर ने बताया कि पांच अगस्त को विभाग ने स्कूलों में दोपहर के भोजन के लिए झारखंड मध्याह्न भोजन प्राधिकार के जिरए बैंक में सौ करोड़ रुपए जमा कराए थे।