रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। JSSC CGL Exam 2023: झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से 21 और 22 सितंबर 2023 को आयोजित सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा (सीजीएल)-2023 में पेपर लीक और गड़बड़ियों के आरोपों ने जोर पकड़ लिया है।
परीक्षा के बाद कई अभ्यर्थियों ने आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए 26 सितंबर को राज्यपाल सचिवालय को सबूत सौंपे। इन सबूतों में पेपर लीक, प्रश्न रिपीट होना और अन्य अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों की जांच के लिए जेएसएससी ने एक तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसकी अध्यक्षता आयोग के सचिव सुधीर कुमार गुप्ता कर रहे हैं।
पेपर लीक और प्रश्न रिपीट के आरोपः अभ्यर्थियों का दावा है कि 22 सितंबर की परीक्षा शुरू होने से पहले ही कई प्रश्नों के उत्तर कुछ अभ्यर्थियों के पास पहले से मौजूद थे। साथ ही पेपर-3 (गणित, रिजनिंग और कंप्यूटर) और पेपर-1 (हिंदी और अंग्रेजी) के कई प्रश्न पूरी तरह से रिपीट किए गए थे।
अभ्यर्थियों का कहना है कि पेपर-3 में 60 प्रश्न और पेपर-1 में 120 प्रश्न पिछले वर्षों के प्रश्न थे, जिनमें न तो प्रश्नों की क्रम संख्या बदली गई थी और न ही कोई अन्य मामूली बदलाव किया गया था।
यह आरोप भी लगाए गए हैं कि आयोग द्वारा पूर्व में घोषणा की गई थी कि पिछले दो वर्षों के प्रश्न परीक्षा में नहीं दोहराए जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद कुल 180 प्रश्न रिपीट कर दिए गए थे।
साक्ष्य और जांच समिति की भूमिकाः अभ्यर्थियों ने आयोग को पेपर लीक और प्रश्न रिपीट से संबंधित सबूत के रूप में एक पेन ड्राइव, एक सीडी और 54 पन्नों का एक दस्तावेज सौंपा है। राज्यपाल सचिवालय द्वारा इस मामले में पत्र भेजे जाने के बाद जेएसएससी ने इन सबूतों की जांच कराने का निर्णय लिया है।
समिति में संयुक्त सचिव मधुमिता कुमारी और उप सचिव सह परीक्षा नियंत्रक अरविंद कुमार लाल को सदस्य बनाया गया है। इस समिति को निर्देश दिया गया है कि वह एक सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट आयोग को सौंपे।
अभ्यर्थियों को किया गया तलबः जेएसएससी ने उन अभ्यर्थियों को भी 30 सितंबर को आयोग के कार्यालय में बुलाया है, जिन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में सबूत सौंपे थे।
आयोग ने एक्जाम फाइटर कोचिंग सेंटर के कुणाल प्रताप सिंह, आशीष कुमार, प्रकाश कुमार, रामचंद्र मंडल, विनय कुमार और प्रेमलाल ठाकुर को उपस्थित होकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।
हालांकि आयोग का यह भी कहना है कि पेन ड्राइव और सीडी का मूल स्रोत अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिसे जांच के लिए आवश्यक माना जा रहा है।
आगे की प्रक्रियाः जांच समिति द्वारा एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आरोपों में कितनी सच्चाई है। यदि गड़बड़ियां साबित होती हैं तो यह झारखंड के परीक्षा तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
अभ्यर्थियों में असंतोष और सवालों का उठना राज्य में सरकारी परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। समिति की जांच और इसके परिणाम भविष्य की परीक्षाओं के लिए एक उदाहरण साबित हो सकते हैं।
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