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समूचे नालंदा में फर्जी गुरुओं की बाढ़, नहीं हो रही कोई कार्रवाई, हमाम में दिख रहे सब नंगे

आरटीआई से खुलासा, अब नालंदा के बेन प्रखंड में फर्जीबाड़ा कर बन गए ‘गुरूजी’

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। ज्ञान की धरती नालंदा ” फर्जी गुरूओं का गढ़” बन चुका है।आए दिन फर्जी गुरूओं की पोल जिले के किसी न किसी ब्लाॅक में खुल रहा है। कभी फर्जी डिग्री पर बहाली के मामले हो तो कभी प्राधिकार की आड़ में शिक्षक बनने का गोरखधंधा हो या फिर नियोजन इकाई में धांधली कर टीचर बन जाने के मामले उजागर होते आ रहे है ।NALANDA TEACHER SCAME

नालंदा के राजगीर,सिलाव, थरथरी, नगरनौसा, चंडी, हिलसा, बिंद के बाद अब बेन प्रखंड में भी शिक्षक नियोजन का फर्जी बाडा सामने आया है। बेन में भी प्राधिकार का हवाला दिखाकर  नियोजन इकाई ने फर्जी शिक्षकों की  नियुक्ति कर रखी है।ये नियुक्त शिक्षक बजाप्ता वेतन भी उठा रहे है।

इस फर्जीबाड़े के खेल में पंचायत नियोजन इकाई के साथ-साथ प्रखंड स्तरीय शिक्षकों के नियोजन मामले में बीआरसी कार्यालय की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। साथ ही  प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी की संलिप्ता से इंकार नहीं किया जा सकता है।

आश्चर्य की बात तो यह है कि इन नियोजनों के संबंध में विभागीय पदाधिकारी द्वारा  जानकारी उपलब्ध करा पानें में टाल-मटोल की नीति अपनायी जाती है।

बेन में एक  आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार नियोजन इकाई ने जो जानकारी उपलब्ध करायी है। उसमें काफी भिन्नता पायी गयी है। शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार नालंदा के वाद संख्या – 70/11 का हवाला देते हुए नियोजन पत्र- 03 दिनांक- 15/1/12 में पंचायत सचिव रामवृक्ष रजक का हस्ताक्षर में भिन्नता है।

इसके अलावा उक्त तिथि में निर्गत करने वाले नियुक्ति पत्र समय पंचायत सचिव रामवृक्ष रजक कार्यरत नहीं है।( प्रखंड कार्यालय पत्रांक- 569 दिनांक – 15/7/17 अनुसार ) मामला बारा पंचायत के प्राथमिक विद्यालय गंगटी में पदस्थापित शिक्षिका कुमारी संजु वर्मा से संबंधित है।

 इस नियोजन मामले में पंचायत सचिव, बीडीओ एवं बीईओ द्वारा स्पष्ट नहीं किए जाने से लगता है कि इस नियोजन के धंधे में सभी की मूक सहमति दिख रही है। तभी तो फर्जी बाडे के मामले आने के बाद कार्रवाई की गुंजाइश कोसो दूर हो जाती है।

बेन प्रखंड में यह सिर्फ़ एक नमूना है। अगर शिक्षकों के नियोजन को सही तरीके से खंगाला जाए तो एक दो शिक्षक ही नहीं कई दर्जन शिक्षकों पर गाज गिर सकती है। सिर्फ़ ये शिक्षक स्कूलों में पढाते ही नहीं है बल्कि, गलत तरीके से सरकार को प्रतिमाह लाखों रूपये का चूना लगाकर वेतन भी उठा रहे है ।

 पंचायत से लेकर जिला नियोजन इकाई में फर्जी बाडे और मेधा सूची तथा रोस्टर को दरकिनार कर ऐसे लोगों को शिक्षक बना दिया गया है जिन्होंने रूपये की थैली खोल दी। आज भी मामले उजागर होते है तो रूपये के बल पर ही उनके मुँह बंद कर दिए जा रहे है।

फर्जी शिक्षक नियोजन के खेल में पंचायत नियोजन इकाई के मुख्य पंचायत सचिव एवं मुखिया होते हैं वहीं प्रखंड शिक्षक नियोजन में बीडीओ एवं बीआरसी कार्यालय होता है। और इस नियोजन में काफी मोटी रकम के आधार पर प्राधिकार के हवाले देकर शिक्षक बना दिया जाता है।

इस फर्जीबाड़े नियोजन को रोक पाने में विभागीय अधिकारी बिल्कुल पंगु रहा है। जबकि बड़े पैमाने पर नियोजन इकाई ने मनमर्जी के तहत नियोजन किया गया है। वर्ष 2011 में नियोजन इकाई-1 ने 19 तो दूसरे नियोजन इकाई ने इतनी हीं संख्या में एकसारा पंचायत में अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र दे शिक्षक बना डाला। मामला निगरानी विभाग में लंबित पड़ा है।

ठीक इसी प्रकार फर्जीबाड़े कर शिक्षक बनाये जानें के आरोप में पिछले महीने से कई पंचायत सचिव एवं मुखिया भागे फिर रहे हैं। पुलिस भी फर्जीबाड़े में शामिल लोगों को तलाश रही है। देखना है ऐसे गुरु घंटालों पर सरकार और विभागीय पदाधिकारी भी किया कारवाई कर पाते हैं।

ऐसा नहीं है कि जिले के पंचायत से लेकर जिला नियोजन इकाई में फर्जी बाडे की जानकारी डीएम,डीईओ को नहीं है। लेकिन उनके तरफ से आज तक किसी भी प्रखंड में जांच के आदेश नहीं दिए गए । अगर दिए भी गए हैं तो उस आदेश का क्या हश्र होता है, उसे देखा जा सकता है।

डीएम द्वारा प्राधिकार से शिक्षक बहाली पर रोक है। इसके बाद भी तेजी से प्राधिकार के नाम पर स्कूलों में शिक्षक योगदान दे रहे है ।ऐसे ही दो मामले चंडी प्रखंड में देखने को मिला है।

नालंदा में लोगों के मन से लगता है डीएम के नाम पर डर नाम की कोई चीज नहीं रह गई हैं। जिस कारण हर कोई का मन बढ़ा हुआ है। हर रोज कोई न कोई प्राधिकार की आड़ में शिक्षक बनता ही जा रहा है।

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