अन्य
    Saturday, March 15, 2025
    31 C
    Patna
    अन्य

      बिहार में मंदिर-मठ और ट्रस्ट को 15 जुलाई तक रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य, क्योंकि…

      पटना  (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। राज्य सरकार ने बिहार में संचालित सभी सार्वजनिक मंदिर-मठ और ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराने की अंतिम तिथि जारी की है। 15 जुलाई तक बिहार के सभी मंदिर और मठों को अपना पंजीकरण करवाया अनिवार्य होगा।

      बिहार में करीब 8 हजार मंदिर और मठ हैं। इनमें से साढ़े पांच हजार मंदिर-मठ ही बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद से पंजीकृत है। अभी भी करीब दो हजार 512 मंदिर और मठ ऐसे हैं, जिनका पंजीकरण नहीं हो सका है। इनके पास 4321.64 एकड़ जमीन है।

      ऐसे में 15 जुलाई तक बिहार में पंजीकरण के लिए बचे दो हजार 512 मंदिर और मठों को अपना पंजीकरण बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद से हर हाल में करा लेना होगा।

      राज्य के सभी जिला प्रशासन को इसका कड़ाई से पालन कराने का निर्देश दिया गया है। साथ ही चेतावनी भी दी गयी है कि अगर तय समय तक पंजीकरण नहीं कराया जाएगा तो सरकार को विवश होकर अन्य विकल्प अपनायेंगी।

      राज्य के विधि मंत्री प्रमोद कुमार के अनुसार राज्य में चल रहे मंदिरों, मठों, न्यासों और धर्मशालाओं को अपना पंजीकरण कराना होगा। मंदिर-मठों की जमीन के रजिस्ट्रेशन भगवान के नाम पर होगा, जिसे जिला प्रशासन को मंदिरों, मठों, न्यासों और धर्मशालाओं की संपत्तियों का ब्योरा दो हफ्ते के भीतर धार्मिक न्यास परिषद की वेबसाइट पर अपलोड करेगा।

      बिहार देश का पहला राज्य है, जहां यह कवायद हो रही है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में मंदिरों और मठों के पास 18 हजार 456.95 एकड़ जमीन है।

      दरअसल, पंजीयन के बाद मठ-मन्दिरों को वार्षिक आय का चार प्रतिशत कर के रूप में देना होता है। एक बार पंजीयन हो जाने के बाद उनकी सम्पत्तियों का पूरा ब्यौरा उपलब्ध होने से उसे सुरक्षित रखने में सहूलियत होगी। परिषद की वेबसाइट तैयार कर ली गई है जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उद्घाटन करना है।

      मंत्री ने बताया कि सबसे अधिक मंदिर और मठ वैशाली जिला में हैं, जिसकी संख्या 438 है। राज्य में अब तक 2499 मंदिर और मठ रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इनके पास 18456.95 एकड़ जमीन है। इस जमीन की जल्द घेराबंदी होगी।

      उल्लेखनीय है कि राज्य के मठों और मन्दिरों की भूमि पर अवैध कब्जा, अनधिकृत रूप से दावा और निजी लोगों की ओर से बेचने के कई मामले सामने आते रहते हैं। यह मामला आगे जाकर कानून के पचड़े में चला जाता है और विवाद लम्बे समय तक चलता है।

      Related Articles

      error: Content is protected !!