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माइनिंग लीज मामले में हेमंत सोरेन के वकीलों ने फिर मांगा समय, निर्वाचन आयोग ने जताई नाराजगी

रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। पत्थर खनन लीज मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के वकीलों ने मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग से और समय मांगा। इस पर चुनाव आयोग ने नाराजगी जताई है। फिलहाल, आयोग ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय नहीं की है।

भाजपा के लिए वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह और सिद्धार्थ दवे ने आयोग के समक्ष पक्ष रखा। वरीय अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा और मेन्द्री दत्ता ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से कमीशन के समक्ष पक्ष रखा।

भाजपा की ओर से कमीशन को बताया गया कि हेमंत सोरेन ने विभागीय मंत्री रहते हुए खुद के नाम पर माइनिंग लीज ली। इसके लिए बजरंग बहादुर केस का हवाला भी दिया गया। इस पर मुख्यमंत्री की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ताओं ने समय देने का आग्रह किया।

पिछली सुनवाई के दिन आयोग ने सीएम के आग्रह को स्वीकार करते हुए उनसे जुड़े मामले की सुनवाई के लिए 28 जून की तारीख़ निर्धारित की थी। आयोग ने इन्हें जवाब देने के लिए अंतिम मौका दिया था।

हालांकि, आयोग ने यह भी कहा है कि अगली तिथि को वे खुद या वकील के माध्यम से पक्ष रखें, अन्यथा उनकी ओर से जो लिखित जवाब सौंपा गया है, उसी के आधार पर फैसला लिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि इस मामले की शिकायत झारखंड के भाजपा नेताओं ने चुनाव आयोग से की थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नोटिस का जवाब देने को कहा था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूर्व में नोटिस का जवाब दे चुके हैं।

झारखंड प्रदेश भाजपा की तरफ से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए के तहत मुख्यमंत्री को विधायकी से अयोग्य ठहराने के लिये राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया था।

14 जून को आयोग ने स्पष्ट किया था कि अब सुनवाई नहीं टाली जा सकती है। इससे पहले भी हेमंत सोरेन को आयोग की ओर से पक्ष रखने के लिए दो बार समय दिया गया था।

मुख्यमंत्री ने वकील के कोरोना पॉजिटिव होने का हवाला देते हुए दिल्ली स्थित निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश होने के लिए और अधिक समय मांगा था। आयोग ने 14 जून को आग्रह स्वीकार करते हुए 14 दिनों का समय दिया।

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