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भारतीय मेडिकल कॉलेजों में फर्जी NRI एडमिशन रैकेट का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। भारतीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश भर के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में फर्जी एनआरआई (NRI) सर्टिफिकेट के जरिए एमबीबीएस दाखिलों से जुड़े एक बड़े रैकेट का खुलासा किया है। इस घोटाले ने शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर किया है, जिसके तहत हजारों छात्रों को गैरकानूनी तरीके से मेडिकल सीटें दी गईं।

शुरुआती जांच के अनुसार लगभग 18,000 छात्रों ने नकली दस्तावेजों के आधार पर दाखिला लिया, जिसमें फर्जी एनआरआई सर्टिफिकेट, विदेशी दूतावासों से जुड़े जाली कागजात और यहां तक कि नकली फैमिली ट्री शामिल हैं।

ईडी को विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावासों से मिली जानकारी के आधार पर इस रैकेट की गहरी परतें खुलीं। जांच में पता चला कि एजेंटों और कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन ने मिलकर यह गोरखधंधा चलाया। कई मामलों में एक ही तरह के दस्तावेजों का इस्तेमाल अलग-अलग छात्रों के लिए किया गया।

एजेंट असली एनआरआई उम्मीदवारों को मोटी रकम देकर उनके नाम और दस्तावेजों का दुरुपयोग करते थे। इसके अलावा अमेरिकी नोटरी अधिकारियों की नकली मुहरों और जाली एनआरआई सर्टिफिकेट्स की भी बरामदगी हुई है।

नियमों के अनुसार एनआरआई कोटे के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों की फीस उनके एनआरआई रिश्तेदारों के माध्यम से विदेश से आनी चाहिए। हालांकि जांच में सामने आया कि ज्यादातर मामलों में फीस भारत में ही स्थानीय लोगों द्वारा जमा की गई, जो इस रैकेट की एक और कड़ी को उजागर करता है।

इस बीच पश्चिम बंगाल में एक अन्य जांच के दौरान तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक जीवन कृष्ण साहा की गिरफ्तारी ने सुर्खियां बटोरीं। ईडी ने स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में छापेमारी की थी।

इस दौरान साहा ने नाटकीय ढंग से एक चहारदीवारी फांदकर भागने की कोशिश की, लेकिन उन्हें एक नजदीकी खेत से पकड़ लिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साहा को कीचड़ से सने कपड़ों में और पूरी तरह भीगे हुए देखा गया, जिसने इस घटना को और सनसनीखेज बना दिया।

ईडी ने इस मामले में अब तक कई फर्जी दस्तावेज जब्त किए हैं और जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अधिकारियों का कहना है कि इस रैकेट में शामिल कुछ बड़े नामों का खुलासा जल्द हो सकता है। मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन, एजेंटों और कुछ प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस तरह के रैकेट अन्य पेशेवर कोर्सेज जैसे इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में भी सक्रिय हैं।

बहरहाल यह घोटाला न केवल शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि उन छात्रों के भविष्य को भी खतरे में डालता है जो मेहनत और योग्यता के आधार पर दाखिला लेने की कोशिश करते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के घोटालों को रोकने के लिए कड़े नियमों और सख्त निगरानी की जरूरत है।  ईडी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है कि वे इस रैकेट के हर पहलू की गहराई से जांच कर रहे हैं। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

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