राजगीर (मंजीत प्रभाकर)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में राजगीर नगर परिषद अंतर्गत मलमास मेला सैरात भूमि में बन रही अवैध बाउंड्री लेकर स्थानीय लोगों के विरोध एवं सोशल मीडिया पर क्षोभ के बाद नगर परिषद राजगीर के द्वारा बाउंड्री हटाने के लिए बीते 18 अगस्त को एक नोटिश भी जारी किया गया था।
नोटिश में मो. आफताब आलम को यह भी चेतावनी दी गई थी कि पत्र प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर किया गया निर्माण कार्य हटा लें, अन्यथा की स्थिति में नगर प्रशासन द्वारा निर्माण कार्य को ध्वस्त करते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
लेकिन राजगीर नगर परिषद प्रशासन की नपुसंकता का आलम यह है कि 24 घंटे तो दूर 24 दिन बाद भी मलमास मेला सैरात भूमि पर नव निर्मित वाउंड्री को नहीं तोड़ा जा सका है।
यहां के स्थानीयों का मानना है कि इस बाउंड्री को करने के लिए सत्तारुढ़ सरकार के कतिपय स्थानीय नेताओं का सहयोग एवं हाथ है, जिसके कारण अपने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए इस बाउंड्री को तोड़ने से रोक दिया गया है एवं इसे तोड़ने के बजाय घेर कर छोड़ दिया गया, ताकि यह मामला दब जाए और लोगों के नजर से इस अवैध बाउंड्री के प्रति ध्यान हट जाए।
वहीं कुछ स्थानीय हो गया मानना है कि इसी बाउंड्री के आसपास कुछ दबे कुचले, गरीब, दलित लोग, जिन लोगों के रहने के लिए अपना घर नहीं था, वैसे जो भी लोग इस क्षेत्र के आसपास झोपड़ी-पट्टी बनाकर रह रहे थे। उन्हें स्थानीय प्रशासन के द्वारा बार-बार हटा कर परेशान किया जाता है। लेकिन सत्ता के कतिपय नेताओं के दबदबा के कारण मो. आफताब आलम जैसे भू-माफियाओं के सामने उनकी पैंट गीली हो रही है।
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