“अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद की सिफारिशों के बाद एसटी समुदाय के लोगों के व्यापक हित को देखते हुए ओडिशा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण विनियमन, 1956 में संशोधन करने का फैसला लिया गया है…
भुवनेश्वर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। ओडिशा प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आने वाले लोग अब अपनी जमीनों को गैर आदिवासी समुदाय को बेच सकेंगे। हालांकि नए प्रावधान के तहत इस बात की भी व्यवस्था की गई है कि वे अपनी पूरी जमीन की बिक्री नहीं कर सकते।
ओडिशा के मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक कानून में संशोधन करने का फैसला किया। नवीन पटनायक की सरकार द्वारा किए गए इस संशोधन के बाद अब अनुसूचित क्षेत्रों में रह रहे अनुसूचित जनजाति (ST) के लोग राज्य सरकार की अनुमति से गैर-आदिवासियों को अपनी जमीन बेच सकेंगे।
पूरी जमीन नहीं बेच पाएगा ST समुदाय का व्यक्तिः मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि लेकिन नए प्रावधान के तहत अनुसूचित जनजाति समुदाय का कोई व्यक्ति अपनी पूरी जमीन नहीं बेच सकता, क्योंकि उस स्थिति में व्यक्ति भूमिहीन या बेघर हो सकता है। ओडिशा के मुख्य सचिव ने कहा कि इस कदम से राज्य में उद्योगों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जेना ने बताया कि अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद की सिफारिशों के बाद एसटी समुदाय के लोगों के व्यापक हित को देखते हुए ओडिशा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण विनियमन, 1956 में संशोधन करने का फैसला लिया गया है।
2002 में भी हुआ था इस कानून में संशोधनः जेना ने कहा कि 2002 में इस कानून में कुछ संशोधन किए जाने के बाद ST श्रेणी के नागरिकों को अचल संपत्ति केवल आदिवासियों को ट्रांसफर करने की इजाजत दी गई थी।
इस प्रावधान के कारण समुदाय के कई लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। 2002 से पहले अनुसूचित जनजाति समुदाय के किसी भी सदस्य की कोई भी जमीन नहीं बेची जा सकती थी।
इस नियम का मुख्य उद्देश्य यही था कि कोई भी दबंग व्यक्ति ST समुदाय के लोगों को डरा-धमकाकर उनकी जमीन न खरीद पाए। इसी तरह के या इससे मिलते-जुलते नियम देश के कई अन्य राज्यों में भी हैं।
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