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Ex. PM मनमोहन सिंह की तबियत बिगड़ी, एम्स में भर्ती, ईलाज के लिए मोडिकल बोर्ड गठित

इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मंगलवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई है। उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही थी और वह लगातार चेस्ट कंजेशन की शिकायत कर रहे थे।

इस शितायत के बाद उन्हें तत्काल प्रभाव से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सीएन टावर में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार किया जा रहा है।

डॉ. मनमोहन सिंह की जांच के लिए एम्स एक मेडिकल बोर्ड बना रहा है, जिसको एम्स निदेशन डॉक्टर रणदीप गुलेरिया हेड करेंगे।

कांग्रेस सचिव प्रणव झा ने ट्वीट कर कहा है, ‘पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी के स्वास्थ्य के संबंध में कुछ निराधार अफवाहें हैं। उसकी हालत स्थिर है। उनका नियमित इलाज चल रहा है। हम आवश्यकतानुसार अपडेट को साझा करेंगे। हम मीडिया में अपने दोस्तों को उनकी चिंता के लिए धन्यवाद देते हैं।’

मनमोहन सिंह इस साल 19 अप्रैल को कोरोना वायरस से भी संक्रमित हो गए थे। उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। सिंह को हल्का बुखार होने के बाद जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता चला था।

पूर्व प्रधानमंत्री ने चार मार्च और तीन अप्रैल को कोरोना के टीकों की दो खुराक ली थी। डॉक्टर मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं। वो 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। साल 2009 में एम्स में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी।

भारत के 14वें प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह विचारक और विद्वान के रूप में जाने जाते हैं।

उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के एक गांव में हुआ था। उन्होंने साल 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मेट्रिक की शिक्षा पूरी की।

उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से हासिल की। 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की।

इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया। 1971 में डॉ. सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए। 1972 में उनकी नियुक्ति वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में हुई।

डॉ. सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्तमंत्री रहे। अपने राजनीतिक जीवन में डॉ। सिंह 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे, जहां वे 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता थे।

उन्होंने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे।

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