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बिहार में ₹24,454 का कर्ज की बोझ तले दबा जन्म ले रहा है हर बच्चा !

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार सरकार अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार ऋण ले रही है। जिससे राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024-25 में बिहार का कुल कर्ज ₹3,19,618 करोड़ तक पहुंच गया है। जिसका असर सीधे राज्य के नागरिकों पर भी पड़ रहा है। यदि प्रति व्यक्ति के हिसाब से देखा जाए तो हर बिहारवासी पर औसतन ₹24,454 का कर्ज चढ़ चुका है।

बिहार सरकार द्वारा लिए गए कर्ज की राशि साल-दर-साल बढ़ रही है। 2021-22 में कुल कर्ज ₹2,57,635 करोड़, प्रति व्यक्ति कर्ज ₹18,952 था। 2022-23 में कुल कर्ज ₹2,83,596 करोड़, प्रति व्यक्ति कर्ज ₹20,610 था। 2023-24 में कुल कर्ज ₹2,93,851 करोड़, प्रति व्यक्ति कर्ज ₹22,779 था। वहीं 2024-25 में कुल कर्ज ₹3,19,618 करोड़, प्रति व्यक्ति कर्ज ₹24,454 है।

हालांकि यह ऋण वित्त आयोग द्वारा तय सीमा के भीतर है। लेकिन कर्ज का बढ़ता स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) बढ़ रहा है। जिससे ऋण अनुपात में कमी आई है।

आकड़ों के अऩुसार 2021-22 में जीएसडीपी ऋण अनुपात 39.8 फीसदी था। 2022-23 में यह घटकर 39.3 फीसदी रहा। 2024-25 में यह और कम होकर 38.9 फीसदी हो गया।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार कर्ज लेकर विकास योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करती है तो यह अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी हो सकता है। लेकिन अगर कर्ज का सही प्रबंधन नहीं किया गया तो यह राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव बना सकता है।

बिहार पर बढ़ते कर्ज के क्या हैं कारण?

राजस्व संग्रह में कमी– बिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिससे कर संग्रह सीमित रहता है।

बढ़ती जनसंख्या– बिहार की बड़ी आबादी पर सरकार को कल्याणकारी योजनाओं पर अधिक खर्च करना पड़ता है।

बुनियादी ढांचे में निवेश– सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च हो रहा है।

राज्य की सीमित आय स्रोत– बिहार को केंद्र सरकार से अनुदान और ऋण पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है।

हालांकि राज्य सरकार का दावा है कि कर्ज का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में किया जा रहा है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए औद्योगिकीकरण और निवेश को बढ़ावा देने पर भी काम कर रही है।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि बढ़ता कर्ज राज्य के वित्तीय संकट को दर्शाता है और सरकार को इसे नियंत्रित करने की रणनीति बनानी चाहिए। दूसरी ओर जनता में भी इस बात को लेकर चिंता है कि क्या बढ़ते कर्ज का प्रभाव भविष्य में करों में बढ़ोतरी या सरकारी सेवाओं में कटौती के रूप में पड़ेगा।

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