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DC ने Whatsapp Call पर किये आरोप तय, SC ने पूछा- क्या मजाक है यह

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड के खाते में यूं तो कई उपलब्धियां हैं, मगर अब एक उपलब्धि ऐसी जुड़ गई है जो शायद राज्य की छवि के लिए बहुत अच्छा नहीं है।

Supreme Courtपहली बार किसी राज्य के जिला कोर्ट में सुनवाई के तरीके ने सुप्रीम कोर्ट को भी चौंका दिया है। ये मामला राज्य के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी विधायक पत्नी निर्मला देवी से जुड़ा है।

इन दोनों के खिलाफ आरोप तय करने की सुनवाई 19 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होनी थी, मगर हजारीबाग जिला न्यायालय ने इसकी धीमी गति को देखते हुए व्हाट्सएप कॉल पर ही आरोप तय कर दिए।

इसके खिलाफ साव और उनकी पत्नी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो शीर्ष अदालत ने इस पूरी प्रक्रिया पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि ये झारखंड में क्या हो रहा है? क्या ये कोई मजाक है? आखिर भारत की किसी अदालत में ऐसा हुआ कैसे?

साव व उनकी पत्नी ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सुनवाई हजारीबाग के बजाय दिल्ली की अदालत में करने का आग्रह किया था।

इस पर शीर्ष कोर्ट ने झारखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। साव दंपती की भोपाल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होनी थी सुनवाई

साव और उनकी पत्नी पर झारखंड के बड़कागांव में एनटीपीसी के जमीन अधिग्रहण के विरुद्ध 2016 में हुए प्रदर्शनों के दौरान 21 केस दर्ज हुए थे।

इन मामलों में 15 दिसम्बर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को इस शर्त पर जमानत दी थी कि दोनों सुनवाई के दौरान दोनों झारखंड में प्रवेश नहीं करेंगे, भोपाल में रहेंगे।

पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी विधायक पत्नी निर्मला देवी……..

हजारीबाग की जिला अदालत में चल रहे इन मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो रही थी। सुनवाई के दौरान साव दंपती भोपाल जिला अदालत में उपस्थित होते थे।

19 अप्रैल, 2018 को आरोप तय करने के लिए सुनवाई चल रही थी मगर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गति धीमी थी। इस पर जज ने व्हाट्सएप पर वीडियो कॉलिंग के जरिये सुनवाई की और आरोप तय करते हुए ट्रायल का आदेश दिया।

साव दंपती ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि उन लोगों ने इस प्रक्रिया का विरोध किया था। मगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया।

झारखंड के वकील ने कहा कि साव जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं और ज्यादातर समय भोपाल से बाहर रहे। इस पर बेंच ने कहा, ‘आपको इससे समस्या है तो जमानत रद्द करने का आवेदन दें। जमानत शर्तों का उल्लंघन करने वालों से हमें सहानुभूति नहीं है।’

साव दंपती की सुनवाई दिल्ली की विशेष अदालत में ट्रांसफर किए जाने की याचिका पर शीर्ष कोर्ट ने झारखंड सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है।

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