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DC का अंतिम फैसला- भू-माफियाओं के खिलाफ राजगीर CO जाएं कोर्ट, SDO हटाएं अतिक्रमण

 “सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के क्षेत्राधिकार के संबंध में अधिनियम के अन्तर्गत व्यवहार न्यायालय के क्षेत्राधिकार को Exclude किया गया है। लोक प्राधिकार द्वारा कारण पृच्छा दायर किया जा चुका है, इसलिए व्यवहार न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश निष्प्रभावी हो गया है।”

anand kishore

पटना (मुकेश भारतीय)। पटना प्रमंडलीय आयुक्त सह प्रथम अपीलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी आनंद किशोर ने राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि पर अतिक्रमण के मामले में अपना अंतिम आदेश पारित कर दिया है।

राजगीर के बीचली कुआं निवासी आरटीआई एक्टीविस्ट पुरुषोतम प्रसाद द्वारा दायर अनन्य वाद संख्या- 999990124121628 208 / 1A की लंबी चली सुनवाई के बाद श्री किशोर ने 25 जुलाई को हुई अपने अंतिम निर्णय में लिखा है कि  राजगीर अनुमण्डल पदाधिकारी,  राजगीर अनुमण्डल पुलिस पदाधिकारी एवं लोक प्राधिकार -सह- राजगीर अंचल अधिकारी ने बताया कि अंचल अधिकारी, राजगीर द्वारा जितने वादों में अतिक्रमित भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश पारित किया गया था, उन सभी जगहों को अतिक्रमण मुक्त करा दिया गया है।

यहां कुल 33 अतिक्रमण वाद में पारित आदेश के आलोक में 24 अतिक्रमित भूमि से अतिक्रमण हटा दिया गया है तथा 9 मामले में सक्षम न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश रहने के कारण अतिक्रमण अवशेष रह गया है।

परिवादी का कहना है कि सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के क्षेत्राधिकार के संबंध में अधिनियम के अन्तर्गत व्यवहार न्यायालय के क्षेत्राधिकार को Exclude किया गया है तथा जिस स्थगन आदेश की चर्चा लोक प्राधिकार द्वारा की जा रही है, उसके अनुसार वह स्थगन आदेश प्रतिवादी (राज्य) द्वारा कारण पृच्छा दाखिल करने तक यथास्थिति बनाये रखने से संबंधित है।

परिवादी का कहना है कि लोक प्राधिकार द्वारा कारण पृच्छा दायर किया जा चुका है, इसलिए व्यवहार न्यायालय द्वारा पारित स्थगन आदेश निष्प्रभावी हो गया है।

अतः उक्त आलोक में निदेश दिया जाता है कि परिवादी द्वारा उठाये गये विधि-सम्मत आपत्ति के आलोक में लोक प्राधिकार को आदेश दिया जा जाता है कि वह वैसे मामले, जिसमें व्यवहार न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश पारित किया गया है, के संबंध में सरकारी अधिवक्ता से विधि-सम्मत राय प्राप्त करते हुए अग्रेत्तर कार्रवाई करें।

प्रमंडलीय आयुक्त ने राजगीर अंचल अधिकारी को निदेश दिया है कि उपरोक्त आलोक में व्यवहार न्यायालय द्वारा जारी स्थगन आदेश को हटाने हेतु न्यायालय में Petition दायर करें तथा स्थगन नहीं हटाने पर उनके Superior Court में appeal दायर करें।

प्रमंडलीय आयुक्त ने  राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी को निदेश दिया है कि व्यवहार न्यायालय से स्थगन आदेश हटाने के पाश्चात पन्द्रह दिनों के अंदर अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित करेंगे।

 यदि उपरोक्त निर्देश के आलोक में पदाधिकारियों द्वारा समुचित कार्रवाई नहीं की जाती है तो परिवादी अधोहस्ताक्षरी के समक्ष अभ्यावेदन दे सकते हैं। तदनुसार इस वाद की कार्रवाई समाप्त की जाती है।

बता दें कि इस प्रमंडलीय प्राधिकार द्वारा विगत 27 जून को सुनवाई की गयी थी, जिसमें राजगीर अनुमण्डल पदाधिकारी एवं राजगीर अनुमण्डल पुलिस पदाधिकारी को निदेश दिया गया था कि राजगीर अंचल अधिकारी  द्वारा अतिक्रमण वाद में पारित आदेश के आलोक में सैरात की अतिक्रमित भूमि को 10 जुलाई, 2017 तक अतिक्रमण मुक्त करायें तथा इस वाद की अगली सुनवाई 11 जुलाई, 2017 को स्वयं उपस्थित होकर कृत कार्रवाई से अवगत करायें।

जिला पदाधिकारी, नालंदा एवं वरीय पुलिस अधीक्षक, नालंदा को निर्देश दिया गया था कि वे अपने स्तर से अतिक्रमण मुक्त अभियान का अनुश्रवन करेंगे तथा आवश्यकतानुसार स्थानीय प्रशासन को संसाधन उपलब्ध करायेंगे।

उसके बाद इस प्राधिकार द्वारा 11 जुलाई, 2017 को सुनवाई की गयी थी, जिसमें लोक प्राधिकार को निर्देश दिया गया था कि 18 जूलाई, 2017 तक अतिक्रमित भूमि को अतिक्रमण मुक्त निश्चित रूप से करा दें तथा इस वाद की अंतिम सुनवाई तिथि 25 जुलाई, 2017 को अनुपालन प्रतिवेदन के साथ उपस्थित हों।

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