पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने और युवाओं को साधने के लिए बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने ‘पलायन रोको-नौकरी दो पदयात्रा’ की घोषणा कर दी है। इसकी कमान एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रभारी कन्हैया कुमार को सौंपी गई है। यह पदयात्रा 16 मार्च से ऐतिहासिक चंपारण के भीतरहवा से शुरू होगी और विभिन्न जिलों से गुजरते हुए पटना में समाप्त होगी।
पटना के सदाकत आश्रम में आयोजित प्रेस वार्ता में कन्हैया कुमार ने कहा कि यह पदयात्रा न्याय की पुकार है। उन्होंने बिहार में शिक्षा, नौकरी और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति पर जमकर हमला बोला। उनका कहना है कि राज्य में बीपीएससी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ है। जो बेहद शर्मनाक है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार युवाओं को नौकरी और शिक्षा नहीं दे सकती तो राज्य का विकास कैसे होगा?
कन्हैया ने बिहार में उच्च शिक्षा की बदहाली का जिक्र करते हुए कहा, ‘यहां ग्रेजुएशन तीन साल में नहीं, बल्कि पंचवर्षीय योजना बन जाती है। 25,000 छात्रों के नामांकन के लिए केवल 10 शिक्षक उपलब्ध होते हैं। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था का हाल क्या होगा, यह बताने की जरूरत नहीं है।‘
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार सरकार ने युवाओं के पलायन को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 2.90 करोड़ युवा रोजगार की तलाश में बिहार छोड़ चुके हैं।
कन्हैया कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस यात्रा का नेतृत्व कोई नेता नहीं, बल्कि जनता करेगी। हालांकि बीच-बीच में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस यात्रा से जुड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस यात्रा की प्रेरणा महात्मा गांधी के संघर्ष से ली गई है। डिजिटल इंडिया का नारा देने वाली सरकार से हम पूछते हैं कि बिहार के गांवों में कितने स्कूलों में डिजिटल बोर्ड और स्मार्ट क्लासरूम लगाए गए हैं?
यह यात्रा बिहार के विभिन्न जिलों से होकर गुजरेगी। जहां कन्हैया कुमार युवाओं से सीधा संवाद करेंगे। यात्रा का समापन पटना में होगा। जहां आगे की रणनीति तय की जाएगी।
कन्हैया कुमार ने बिहार के युवाओं से इस यात्रा का हिस्सा बनने की अपील करते हुए कहा, ‘अगर आपको शिक्षा, नौकरी और इलाज नहीं मिल रहा है तो इस आंदोलन का हिस्सा बनें। हम मिलकर अपने भविष्य को बेहतर बनाने का प्रयास करेंगे।‘
कांग्रेस की इस रणनीति को बिहार में पार्टी को दोबारा मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। क्या कन्हैया कुमार कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगा पाएंगे? यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि इस यात्रा से बिहार की राजनीति में नई हलचल जरूर मचेगी।
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