–पत्रकार संतोष सिंह की फेसबुक टाइमलाइन पोस्ट पर आधारित खबर-
पटना। बीजेपी पार्टी कार्यालय को लेकर जो जमीन खरीद हुई है उसकी जैसे जैसे तफ्तीश आगे बढ रही है, स्थिति टू जी और फोर जी घोटाले वाली बनती जा रही है। कोई साक्ष्य नही बस आप अनुमान लगा सकते हैं कि घोटाला हुआ है और अनुमान का जो व्यवहारिक पहलु है, उससे आप इनकार भी नही सकते हैं।
मधेपुरा सुपौल और किशनगंज में जिसने जमीन बेचा है, वह कह रहे हैं कि दर तो करोड़ों में है। लेकिन बीजेपी का कार्यकर्ता हूं, इसलिए 49 लाख,11 लाख और 35 लाख में बेचा हूं। और सभी पैसे आरटीजीएस के माध्यम से लिया हूं।
अभी तक छह जिले से रजिस्ट्री का अधिकृत कांपी मिले है, जरा उस कांपी को आप भी गौर से देखिए जो पोस्ट (फेसबुक टाइम लाइन) पर लगा हुआ है….
1- पहला और दूसरा पेपर को गौर से देखिए पूर्णिया में दीपक कुमार सिन्हा जी ने अपना जमीन बीजेपी के हाथ बेचा है रजिस्ट्री डीड को गौर से देखिए ये जमीन का भुगतान चेक से हुआ है औऱ विधिवत सब कुछ लिखा हुआ है किस बैंक से ,,,किस खाते का चैक इन्हें दिया गया है सब कुछ पूरी तौर पर अंकित है लेकिऩ उससे आगे बढिए
मामला जो भी हो लेकिन सवाल तो बनता है और बीजेपी को सामने आ कर स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए आज भी सुशील मोदी कह रहे हैं कि जमीन खरीदारी से सम्बन्धित पूरी जानकारी इनंकम टैक्स को दे दिया गया है। सवाल है कि खरीदारी में जो लगभग 20 से 30 करोड़ रुपये दिखाये गये हैं, वह किसका पैसा है। क्या बिहार में जमीन सर्किल और सर्किल रेट से कम में बिकता है। पूरी खरीदारी प्रक्रिया को गौर से देखिए तो बहुत कुछ महसूस किया जा सकता है।
क्या गंगोत्री के सफाई के बगैर गंगा की सफाई सम्भव है। क्या पोलिटकल पार्टी काले धन वाले से खुलकर चंदे ले और फिर आप काले धन वाले पर कारवाई की बात करें। बेमानी नही लगता है?
बहुत अच्छा मौंका पूरा देश भ्रष्टाचार औऱ काले धन के खिलाफ खड़ा है। इससे बेहतर मौंका और कुछ नही हो सकता है। पोलिटकल पार्टी के चंदा को आटीआई के दायरे में लाये। हर चंदा देने वाला का नाम पार्टी के बेवसाईट पर रहे। तब तो पता चलेगा कि पार्टी जिस व्यापारी से चंदा लेते हैं, उन्हें क्या फायदा पहुंचा रहे हैं।
(संपादित-साभारः पत्रकार संतोष सिंह का फेसबुक टाइम लाइन पोस्ट)