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बंधु तिर्की झारखंड के 5वें विधायक, कोर्ट से सजा के बाद जिनकी गई विधानसभा की सदस्यता

राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड के पहले विधायक बंधु तिर्की नहीं हैं, जिनकी विधायकी सजा सुनाने के बाद खत्म हुई हो। इससे पहले भी चार विधायक ऐसे हैं, जिनकी विधायकी कोर्ट की तरफ से सजा सुनाने के बाद खत्म हो गयी है। इन पांच में से चार विधायक चतुर्थ विधानसभा के सदस्य हैं।

एनोस एक्का के अलावा कमल किशोर भगल, गोमिया विधायक योगेंद्र प्रसाद और सिल्ली विधायक अमित महतो चतुर्थ विधानसभा के सदस्य थे। वैसे विधायकी जानेवालों की फेहरिस्त में सबसे पहला नाम केके भगत का आता है।

केके भगतः कमल किशोर भगत की विधायकी जून 2015 में खत्म हुई। जब कोर्ट की तरफ से उन्हें 21 साल पुराने मामाले में सात साल की सजा सुनायी गयी।

मशहूर चिकित्सक डॉ. केके सिन्हा पर हमला करने, मारपीट करने और रंगदारी मांगने के मामले में विधायक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

28 सितंबर 1993 की शाम पांच बजे के करीब आजसू के तीन लोगों ने बरियातू रोड बड़गाईं स्थित डॉ. केके सिन्हा के चेंबर में घुस कर रंगदारी मांगी थी।

इस दौरान डॉक्टर पर थप्पड़ और घूसे चलाने, साथ ही फायरिंग का भी आरोप लगा था। 17 नवंबर 2021 को वो अपने कमरे में मृत पाये गये।

एनोस एक्काः दूसरे नंबर पर एनोस एक्का का नाम आता है। 2018 में पारा टीचर मनोज कुमार की हत्या के मामले में कोलेबिरा विधायक एनोस एक्का और धनेश बड़ाईक को उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी।

एनोस एक्का को धारा 302 और 120 बी में उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माना लगाया गया था। सजा सुनाने के बाद उनकी विधायकी खत्म हो गयी थी।

अमित महतोः सिल्ली से विधायक अमित महतो समेत आठ लोगों को रांची की एक अदालत ने अंचलाधिकारी से मारपीट करने के मामले में दो साल सश्रम कारावास की सजा सुनायी। 45 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

सजा सुनाये जाने के बाद ही अमित महतो की विधायकी चली गयी थी। मगर अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था।

विधायकी जाने के बाद उपचुनाव में सिल्ली सीट से जेएमएम से अमित महतो की पत्नी सीमा देवी ने चुनाव लड़ा और आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को हरा कर विधानसभा पहुंचीं। लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें सुदेश महतो ने पटखनी दी।

हाल में ही 1932 के मुद्दे को लेकर अमित महतो ने जेएमएम की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अभी किसी भी पार्टी का हाथ नहीं थामा है।

योगेंद्र प्रसादः 2018 में ही रामगढ़ जिले में कोयला चोरी मामले में गोमिया से झामुमो विधायक योगेंद्र प्रसाद को पांच साल की सजा सुनायी गयी।

एसडीजेएम आरती माला की कोर्ट ने विधायक के भाई झामुमो जिला अध्यक्ष चित्रगुप्त महतो, गोपाल प्रसाद, चंद्रदेव महतो और पंकज कुमार को भी पांच-पांच साल की सजा सुनायी थी। साथ ही पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

हालांकि सजा सुनाने के बाद कोर्ट ने पांचों को जमानत दे दी थी। लेकिन सजा के बाद योगेंद्र प्रसाद की विधानसभा की सदस्यता खत्म हो गयी। वो नौ साल तक चुनाव भी नहीं लड़ सकते।

सिल्ली विधायक अमित महतो की तरह ही योगेंद्र प्रसाद ने भी उपचुनाव में अपनी पत्नी को गोमिया से चुनाव लड़ाया। पत्नी बबीता देवी ने आजसू के लंबोदर महतो को हरा कर विधायक बनी। लेकिन 2019 के चुनाव में लंबोदर महतो ने बबीता देवी को शिक्शत दे दी।

बंधु तिर्कीः सबसे ताजा मामला बंधु तिर्की का है। 28 मार्च को यानी आज ही आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने बंधु तिर्की को तीन साल की सजा सुनायी। साथ ही तीन लाख का जुर्माना भी लगाया।

सजा के बाद बंधु तिर्की की विधायकी चली गयी। बंधु तिर्की पर छह लाख 28 हजार आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। जिस पर सीबीआइ की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया।

बंधु तिर्की रांची जिले के मांडर विधानसभा से विधायक थे। अब आगे देखने वाली बात होगी कि बंधु तिर्की कैसे अपने राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाते हैं।

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