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    Sunday, May 5, 2024
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      अक्षमता को आयना दिखाता बेमिसाल शख्सियत, अब ‘लिट्टी-चोखा डॉट कॉम’

      राजनेताओं की वजह से नौकरशाही देश को दीमक की तरह चट कर रही है। जहां राजनीतिक प्रभुत्व के चलते भ्रष्टाचार और अक्षमता का पर्याय बनी नौकरशाही चाटुकारों के हाथ में खेलती हों, वहां ऐसे माहौल में ईमानदार आईपीएस अधिकारियों के लिए काम करना मुश्किल हो जाता है

      पटना (जयप्रकाश नवीन)। बिहार कैडर के 1994 बैच के अमिताभ कुमार दास उन आईपीएस में से एक रहे, जो लॉ एंड आर्डर के लिए कुछ भी कर सकते थे। लेकिन पूरी संवेदनशीलता के साथ। किसी के दबाव में न आने वाले श्री दास आम और खास में कोई फर्क नहीं करते थे।

      Amitabh Kumar Das A unique personality showing mirror to good governance and incompetence 1उनके लिए कानून सबके लिए एक जैसा था और उसकी धाराएं भी। चाहे सरकार किसी की रही। उनका ट्रांसफर कहीं भी किया गया, बिना डरे हुए वहीं किया जो एक अधिकारी को ईमानदारी से करना चाहिए।

      उन्होंने बाहुबली अनंत सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला,उनकी जान खतरे में भी आई लेकिन निर्भीकता के साथ कर्तव्य पर डटे रहे।

      जब भाजपा के कद्दावर नेता गिरिराज सिंह मोदी मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल हुए तो दूसरे ही दिन तत्कालीन विशेष शाखा के महानिरीक्षक जेएस गंगवार को एक रिपोर्ट भेजी जिसमें कहा गया था कि गिरिराज सिंह का संबंध जातिय संगठन रणवीर सेना के साथ है।

      इस सनसनीखेज रिपोर्ट के बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के एसपी पद से हटाकर उन्हें पुलिस अधीक्षक, नागरिक सुरक्षा आयुक्त बना दिया गया।

      इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि राजनेताओं की वजह से नौकरशाही देश को दीमक की तरह चट कर रही है। जहां राजनीतिक प्रभुत्व के चलते भ्रष्टाचार और अक्षमता का पर्याय बनी नौकरशाही चाटुकारों के हाथ में खेलती हों, वहां ऐसे माहौल में ईमानदार आईपीएस अधिकारियों के लिए काम करना मुश्किल हो जाता है।

      कुछ ऐसा अमिताभ कुमार दास के साथ भी हुआ। सीएम नीतीश कुमार के दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्हें ज्यादातर निलंबन का दंश झेलना पड़ा। किसी के समक्ष नहीं झुकने वाले इस अधिकारी को अंततः सरकार ने तीन महीने का अग्रिम वेतन देकर जबरन ऐच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी।

      हालांकि मामला अभी भी न्यायालय में लंबित है। अपनी सेवा काल के दौरान राह में आनेवाली हर बाधा, रूकावट को अपनी उपलब्धियों में बदलने वाले अमिताभ कुमार दास एक बेमिसाल अफसर रहें।

      अमिताभ कुमार दास एक बेमिसाल अफसर तो रहे ही, वे एक क्रांतिकारी विचारों के वाहक भी हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री दास फुर्सत के क्षणों में किताबें पढ़ते हैं,गायन भी कर लेते हैं। अपनी कूची के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार भी रखते हैं।Amitabh Kumar Das A unique personality showing mirror to good governance and incompetence 2

      पिछले दिनों उन्होंने कार्टून विधा में हाथ आजमाया जो ‌काफी लोकप्रिय भी रहा। अपने कूची के माध्यम से उन्होंने देश में कोरोना की भयावह स्थिति और सरकार की नाकामियों को उजागर किया तो वह बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ भी कार्टून के माध्यम से उनपर आक्रमक रुख दिखाया। उन्होंने सौ से ज्यादा कार्टून बनाएं।

      अब अमिताभ कुमार दास लिट्टी-चोखा डाट काम के माध्यम से एक नया हूनर दिखा रहे हैं। नयी पीढ़ी को बिहार की गौरवशाली अतीत, परंपरा और‌ संस्कृति के बारे में जानकारी दें रहें हैं।

      उन्होंने बिहार के महापुरुषों, ऐतिहासिक स्थलों, इमारतों, मुख्यमंत्रियों,लोक गायन,लोक नृत्य, भोजपुरी, मैथिली, मगही, स्थापत्य कला,शैली,खान-पान,नाटक, पेंटिंग, गांव-देहात, खेती-बाड़ी,आहर-पईन, उधोग, भोजपुरी फिल्म, बिहार का प्रचलित लौंडा नाच से संबंधित ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधित रोचक और काफी महत्वपूर्ण जानकारी परोस रहे हैं।

      अमिताभ कुमार दास बिहार के उन गिने-चुने लोगों में हैं, जो‌ बिहार की विरासत, संस्कृति से लोगों को रूबरू करा रहे हैं। उन्होंने लिट्टी-चोखा डाट काम के माध्यम से अब तक कई दर्जन रोचक जानकारी प्रस्तुत कर चुके हैं। जिन में उल्लेखनीय हैं, ‘गांधीजी की लाठी’।

       बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि गांधीजी को लाठी रखने का शौक तब से लगा जब वे 1934 में बिहार में भूंकप के दौरान गांधी जी मुंगेर आएं थें तब घोरघट गांव के लोगों ने उन्हें लाठी भेंट की थी।तब से गांधी जी लाठी रखने लगे।

      अमिताभ कुमार दास ने बिहार के नालंदा जिला के कई गांव में ‘बाबन बूटी साड़ी’ से संबंधित रोचक जानकारी दी। कहा जाता है कि यहां बाबन बूटी साड़ी बुनी जाती थी। इसके अलावा बाबन बूटी पर्दे भी तैयार किया जाता था। साड़ियों में 52 प्रकार की बूटी हुआ करती थी। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद भी राष्ट्रपति भवन में 52 बूटी पर्दे लगवएं थें।

      IMG 20210621 WA0009इसके अलावा रोचक जानकारियों में बिहार के पूर्वी चंपारण के माधोपुर गोविंद को ‘मोरो का गांव’ इसी जिले में विशाल केसरिया स्तूप की जानकारी है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप माना जाता है।जिसकी परिधि चार सौ फीट और उंचाई 104 फीट है।इस स्तूप का दर्शन करने चीनी यात्री फाहियान और ह्वेनसांग आ चुके हैं।

      इसके अलावा पटना का कलम शैली जो 1760-1947 तक खूब प्रचलित रहा। ऐसे बहुत सारे ढ़ेर सारी रोचक जानकारी उनके द्वारा दी गई है। साथ ही उन्होंने बिहार के बहुचर्चित व्यक्तित्व पर भी रोचक जानकारी दी है।

      जिनमें बतख मियां, भिखारी ठाकुर, फणीश्वरनाथ रेणु, देवकीनन्दन खत्री,गोनू झा, गोपाल नारायण, बिस्मिल अज़ीमाबादी, वीर कुंवर सिंह, राजकमल चौधरी, प्रफुल्ल चाकी,पीर अली, ख़ुदा बख्श खां, सहजानंद सरस्वती,भोला पासवान शास्त्री,120 घंटे का बिहार का सीएम सतीश कुमार,तिलका मांझी,लीला सेठ, शास्त्रीय नर्तक हरि उप्पल, पर्वत पुरुष दशरथ मांझी,किसान चाची राजकुमारी देवी, जाकिर हुसैन के गुलाब सहित अनगिनत लोगों के बारे में बहुत ही बेहतरीन जानकारी शामिल हैं जो कभी बिहार के विकास में उनका योगदान रहा।

      साथ ही उन्होंने विभिन्न ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का भी जिक्र किया है, जिनमें राजगीर का घोड़ा कटोरा, सुल्तान पैलेस, भितिहरवा आश्रम,लौरिया नंदगढ़,पाटलि का पेड़,सदाकत आश्रम,ककोलत जलप्रपात,बलिराज गढ़,लाल पहाड़ी, तिरहुत रेलवे,काबर झील,गांगेय डॉल्फिन,मंटो टावर सहित महत्वपूर्ण रोचक जानकारी उनके लिट्टी-चोखा डाट काम पर मिल जाएगा।

      अमिताभ कुमार दास इसके अलावा यूट्यूब चैनल पर भी विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं। साथ ही वे एक रेडियो भी चलाते हैं, जिस पर राज्य और देश से संबंधित विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

      श्री दास बिहार विप्लवी परिषद के चेयरमैन हैं। इस परिषद के माध्यम से उन्होंने खुदाबख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़े जाने के विरोध में आवाज उठायी थी। उनके ही मुहिम का प्रभाव रहा कि सरकार को खुदाबख्श लाइब्रेरी के एक हिस्से को तोड़े जाने के फैसले को वापस लेना पड़ा था।

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