“बिहार में कहने को तो ‘सुशासन’ की सरकार है।’ बिहार में बहार है नीतिशे कुमार हैं ‘ के नारे काफी लोकप्रिय रहे है। लेकिन इसी सुशासन की सरकार में ‘सुशासन’ AK 47 से छलनी हो गया…….”
पटना ( एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। बिहार में लगातार बढ़ रही हत्या से सरकार की परेशानी बढ़ गई है।अब जनता अपने आप को असुरक्षित मान रही है। वहीं बिहार की पुलिस तंत्र हाथ पर हाथ धरे बैठी दिखती है। पुलिस और सरकार के बीच दूरी बढ़ती जा रही है, तभी तो पुलिस पीड़ितों की शिकायत लिखने और सुनने से दूर भागती है।
लेकिन अपराधी कहाँ रूकने वाले है। रविवार को मुजफ्फरपुर में पूर्व मेयर की हत्या सुशासन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। एके 47 से पूर्व मेयर की हत्या सुशासन के मुँह पर एक जोरदार तमाचा कहा जा सकता है।
राज्य में कानून नाम की चीज नहीं रह गई है। जैसे लग रहा है पुलिस और सरकार का इकबाल खत्म हो गया है। आएं दिन घटनाएँ घटती है लेकिन अपराधी पुलिस की गिरफ्त से कोसो ओझल हो जाती है।
मुजफ्फरपुर की घटना के बाद सरकार फिर जागी है। घटना की जानकारी देने के लिए पहले से जारी पुलिस हेल्पलाइन नम्बर 100 को चुस्त दुरूस्त बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। सीएम नीतीश कुमार मंगलवार को 100 नम्बर की फिर से रिलॉचिंग करेंगे ।
इस डायल नम्बर की सबसे बडी खासियत यह होगी कि राज्य के किसी भी कोने से 100 नंबर पर फोन करने पर अधिकतम 25 मिनट के अंदर संबंधित थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंच जायेगी। इसलिए इस बार डायल 100 को सेंट्रलाइज बनाया गया है। एक जगह से इसका संचालन होगा तो मॉनिटरिंग अच्छे से होगी। आगे एक-डेढ़ महीने में इसे तकनीकी रूप से और बेहतर बनाने की योजना है।
सूबे में आपाराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए गृह सचिव आमिर सुब्बहानी ने पुलिस मुख्यालय के सभी वरीय पुलिस अधिकारी की बैठक बुलाई थी। जिसमें गृह सचिव ने 100 नम्बर को लेकर विशेष दिशा निर्देश पुलिस अधिकारी को दिया। साथ ही मंगलवार को इस नम्बर की लांचिंग को लेकर समीक्षा भी की।
पिछले दिनों 100 नम्बर पर कई थानों को फोन कर इसकी जांच पड़ताल की गई थी। जिसमें पटना के कई थाने फेल हो गए। जबकि राजधानी का शास्त्रीनगर थाना अव्वल आया था। शास्त्रीनगर थाने की पुलिस ने सात मिनट में रिस्पॉन्स किया था।
दरअसल पुलिस मुख्यालय की योजना है कि घटना के बाद 100 नंबर पर फोन करने के बाद अधिकतम 20-25 मिनट में पुलिस रिस्पॉन्स करे यानी घटनास्थल तक पुलिस तुरंत पहुंच जाए। अब देखने वाली बात यह होगी कि केंद्रीयकृत 100 डायल के रिलॉन्चिंग के बाद भी पुलिस का रिस्पॉन्स कैसा रहता है।
फिलहाल गृह सचिव की यह पहल काफी सराहनीय कही जाएगी । बेशक इस नम्बर की रिलांचिंग की जरूरत थीं। घटना की सूचना देने के लिए लोगों के पास थाने का नम्बर भी याद नहीं होता है।
ऐसे में 100 नम्बर की शुरुआत होने से पुलिस को घटना की जानकारी देने में सहूलियत होगी। लेकिन देखना है कि आखिर पुलिस इस व्यवस्था से भी क्राइम कंट्रोल कर पातीं है या नहीं?