कृषि सचिव ने उपमुख्यमंत्री को पढ़ाया खरीफ का पाठ, मंच पर जताई असहमति
“बिहार में कृषि सुधारों को लेकर जहाँ एक ओर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा नई सोच और सांस्कृतिक जागरूकता के साथ आगे बढ़ रहे हैं, वहीं कृषि सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी व्यावहारिक पहलुओं पर अपनी असहमति जता रहे हैं। इस मंचीय टकराव ने न सिर्फ एक नई बहस को जन्म दिया है, बल्कि यह भी दिखाया कि नीतिगत बदलावों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक पहचान के बीच सामंजस्य कितना ज़रूरी है…

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के कृषि महकमे में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला जब उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा और कृषि सचिव संजय अग्रवाल के बीच मंच पर ही ‘खरीफ’ शब्द को लेकर खुली असहमति सामने आ गई। यह घटना पटना स्थित बामेती सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय खरीफ महाअभियान सह कार्यशाला 2025 के दौरान हुई, जहाँ पूरे राज्य से आए कृषि अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि अब ‘खरीफ’ और ‘रबी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल बंद होगा, क्योंकि ये अरबी मूल के हैं। उन्होंने कहा कि ये शब्द मुगलकाल की देन हैं, जिन्होंने हमारी संस्कृति और भाषा को नुकसान पहुंचाया। इसके स्थान पर ‘शारदीय’ और ‘बसंतीय’ जैसे देसी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने इस संबंध में कृषि सचिव को प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय कृषि मंत्री को भेजने का भी निर्देश दिया।
उन्होंने कहा, “जब हम अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक शब्दों को प्राथमिकता देंगे, तभी किसानों से सही संवाद हो पाएगा।” जब उपमुख्यमंत्री ने ‘खरीफ’ और ‘रबी’ शब्दों को बदलने के लिए सभा से सहमति मांगी, तो सभी अधिकारियों ने हाथ उठाकर समर्थन जताया, लेकिन मंच पर बैठे कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने हाथ नहीं उठाया। इस पर उपमुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से सवाल पूछ लिया।
कृषि सचिव ने स्पष्ट रूप से कहा, “खरीफ का अर्थ शारदीय होता है, लेकिन इस मौसम में ‘शरद’ नहीं होता। इसलिए इसे शारदीय कहना व्याकरणिक रूप से उचित नहीं।” इस जवाब पर डिप्टी सीएम ने कहा कि फसल की कटाई शरद ऋतु में होती है, इसलिए इसे शारदीय कहा जा सकता है।
हालांकि स्थिति को संभालते हुए उपमुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि नाम बदलते वक्त कोष्ठक में पुराने नाम भी लिखे जा सकते हैं उपमुख्यमंत्री ने विभागीय अफसरों को चेताते हुए कहा कि किसानों से सरल और क्षेत्रीय भाषा में संवाद करें। “किसानों से बात करते समय ‘उपादान’, ‘प्रस्तावना’, ‘संपोषण’ जैसे भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग ना करें। ये किसान नहीं समझते।”
उन्होंने अफसरों को यह भी चेताया कि योजनाओं की जानकारी कुछ चुनिंदा लोगों तक न सिमटे। सभी किसानों को मैसेज या सार्वजनिक सूचना के माध्यम से जानकारी दें, ताकि योजनाओं का लाभ समान रूप से मिले।
कार्यक्रम के अंत में उपमुख्यमंत्री ने चेतावनी के लहजे में कहा, “शोषण और दोहन बंद करिए। सभी पर मेरी नजर है। कोई अधिकारी या कर्मचारी यह न समझे कि वह बच जाएगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बाजार समिति निर्माण की प्रक्रिया को लेकर फैलाई जा रही अफवाहें गलत हैं। “मंत्री जी फाइल रोक दिए हैं, यह कहा जा रहा है, जबकि हम सब समझते हैं कि ऐसा क्यों कहा जा रहा है।”
कार्यक्रम में कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि अब किसानों की खेत की मिट्टी की जांच अनिवार्य होगी और इसके आधार पर योजनाओं का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि अब तक 5 लाख से अधिक किसानों ने बिहार कृषि एप डाउनलोड किया है, जो कि डिजिटल पहल की बड़ी सफलता है।