“ विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार द्वारा दिए गए एफिडेविट में उन पर दर्ज मामलों का जिक्र है। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302 और 307 के तहत केस दर्ज है। इसके साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत भी मामला दर्ज है। धारा 302 हत्या, 307 हत्या के प्रयास, धारा 148 घातक हथियार से लैस होकर दंगा से संबंधित है। ”
पटना (मैग्निफिसेंट न्यूज़)। क्या बिहार के मुख्यमंत्री जिन्हें हम विकास पुरुष और सुशासन बाबू के रूप में भी जानते हैं हत्यारे हो सकते हैं? ये सच है कि नीतीश ने कच्ची गोलियां नहीं खेलीं पर क्या वे असल में राइफल लहरा किसी पर गोली दाग सकते हैं ?
ये भी सच है कि नीतीश का मारा पानी तक नहीं मांगता पर क्या वे किसी को मौत के घाट उतार सकते हैं? ऐसा हमें नहीं लगता और ना ही उन लोगों को लगेगा जो नीतीश को कई वर्षों से जानते, देखते और समझते रहे हैं।
क्यूंकि नीतीश तो सिर्फ वही वार करते हैं जिसमें सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। राजद और कांग्रेस उनके उपर रातोरात किए सर्जिकल स्ट्राईक को शायद ही कभी भूले।
ऐसे में जब नीतीश को चीख-चीख कर हत्यारा कहा जा रहा है तो इसकी पड़ताल के लिए पहुँचे बाढ़ के पंडारक थाना क्षेत्र के ढिबर गाँव।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार द्वारा दिए गए एफिडेविट में उन पर दर्ज मामलों का जिक्र है। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302 और 307 के तहत केस दर्ज है। इसके साथ ही आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत भी मामला दर्ज है। धारा 302 हत्या, 307 हत्या के प्रयास, धारा 148 घातक हथियार से लैस होकर दंगा से संबंधित है।
लालू यादव ने 26 साल पुराने केस का जिक्र लाकर सनसनी फैला दी है और हर कोई जानना चाहता है कि क्या नीतीश ने वाकई हत्या की। हालांकि इस केस के विषय में हर कोई जानता है पर इसकी सच्चाई सिर्फ वे लोग जानते हैं जो उस दिन वहां थे।
यहाँ पहुंचने के बाद हमने देखा कि 27.07.2017 को सुबह के दस बजे जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण कर रहे थे तब बाढ़ के ढिवर गांव के लोग इस पर कड़ा एतराज जता रहे थे। इसी गांव के कुछ लोगों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ढिवर गाँव के निवासी सीताराम सिंह का हत्यारा बताया है ।
स्व. सीताराम सिंह के दो पीड़ित भाई राधे श्याम सिंह और राधा कृष्ण सिंह का कहना है कि एनडीए के नये सीएम नीतीश कुमार उनके भाई सीताराम सिंह के हत्या के दोषी हैं और वे अपने भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं ।
हालांकि उनके एक और भाई अशोक सिंह जिन्होंने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का केस दर्ज कराया था वे सामने आने को तैयार नहीं हुए।
अशोक सिंह ने ही आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार ने उनके भाई के उपर फायरिंग की थी जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
पूरा मामला 16-11-1991 का है जब बाढ़ संसदीय क्षेत्र में लोकसभा का मध्यावधि चुनाव चल रहा था । इसमें नीतीश कुमार उम्मीदवार के रूप में खड़े थे और ढिवर गांव के संकुल संशाधन केन्द्र मध्य विधालय ढिवर पंडारक में वोटिंग हो रही थी। बूथ पर कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में सीताराम सिंह थे। नीतीश कुमार के पक्ष में वोट नहीं देने को लेकर वोटिंग के दौरान झड़प हुई।
इसी दौरान नीतीश कुमार की ओर गोली चली, जिसमें सीताराम सिंह की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। जिसके बाद उनके परिजनों ने बाढ़ के पंडारक थाने में नीतीश कुमार पर हत्या का मामला दर्ज कराया जिसमें नीतीश कुमार, मोकामा से विधायक दिलीप कुमार सिंह, दुलारचन्द यादव, योगेंद्र यादव और बैधु यादव को आरोपी बनाया गया था।
आरोप है कि उस दिन बूथ पर सभी लोग बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस होकर आए थे और अचानक नीतीश कुमार ने उनके भाई के उपर फायरिंग कर दी जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
यह केस अभी न्यायालय में चल रहा है। वहीं पीड़ीत परिवार को न्यायालय की ओर से हत्या मामले में सभी गवाह की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड भी तैनात किये गए थे पर उसे चार महीने पहले हटा लिया गया है।
दोनों भाई आरोप लगा रहे हैं कि नीतीश कुमार पर हत्या का मुकदमा चल रहा है पर उन पर सत्ता में रहने के कारण प्रशासन की ओर से कार्रवाई ढीली पड़ी हुई है, इस बार भी राजद और कांग्रेस के साथ गठबन्धन में दरार आने पर अपनी सत्ता को हासिल करने के लिए नए गठवन्धन से हाथ मिला लिया है और मुख्यमंत्री का पद ग्रहण कर लिया।
वहीं गाँव के भी कुछ लोग मामले की पूरी जानकारी नहीं होने के बावजूद नीतीश कुमार को हत्या का दोषी बता रहे हैं जिसमें राजनीतिक साजिश से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
वहीं नीतीश कुमार को वर्षों से करीब से जानने वालों का कहना है की इस पूरे मामले में कुछ भी सच्चाई नहीं है और सब मनगढ़ंत कहानी है ।
जानकारी के मुताबिक इस मामले में हाई कोर्ट ने स्टे लगा रखा है तो वहीं पटना के एक नामी वकील ने कहा है कि 2010 में ही कोर्ट द्वारा नीतीश कुमार को इस केस से हटा दिया गया है । लेकिन पूरा मामला खुलकर सामने नहीं आने के कारण पीड़ीत परिवार को आज भी इंसाफ का इन्तजार है और नीतीश कुमार को सजा दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे है।
लेकिन सूत्रों से यह भी पता चल रहा है कि इस मामले में कहीं न कहीं राजनीति का भी खेल अपने चरम पर खेला जा रहा है ।