एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। रांची-हजारीबाग राष्ट्रीय उच्च मार्ग 33 पर 150 लोग फंसे हैं। वे भूख से बिलबिला रहे हैं। छटपटा रहे हैं। उन्हें कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। हेमंत सरकार की व्यवस्था की पोल खोलने वाली यह ताजा स्थिति सरायकेला जिले के डीसी ने उत्पन्न की है…
डीसी ने सरायकेला के कुचाई क्षेत्र से 3 बसो में ठूंस कर 150 लोगों को गंतव्य बाराबंकी -सुल्तानपुर,उत्तर प्रदेश तक पहुंचाना सुनिश्चित करने के आदेश तो दे दिए, लेकिन उन्हें फूटी कौड़ी भी न सौंपी और न ही अपने आदेश का अनुपालन ही करवाया, ताकि वे सही सलामत अपने गांव-घर पहुंच सकें।
हालत यह है कि फिलहाल डीजल के अभाव में तीनों बस रामगढ़ घाटी में खड़ी है और सभी 150 लोग सड़क पर ही पड़े हैं। उनके पास खाने-पीने की भी कोई व्यवस्था नहीं है।
प्रवासी लोगों को पहुंचाने साथ जा रहे शिक्षक की नीजि जेब में 5000 रुपए थे, लेकिन कल जब लोगों की भूख देखी नहीं गई तो उन्होंने वे पैसे सबके पेट शांत करने में खर्च कर दिए।
इधर बस चालकों का कहना है कि उनके वाहन में ईंधन खत्म हो गए हैं। जिला परिवहन पदाधिकारी से जब कहा गया तो उस साहब का कहना था कि जहां तक बस जाती है, वहां तक ले जाओ। उसके बाद जो होगा, सब समझेगा।
सभी प्रवासी लोगों के साथी शिक्षक का कहना है कि पिछले दिन सरायकेला के अफसरों के द्वारा यह कहकर कुचाई से सबको बस से रवाना कर दिया गया कि आज रविवार है, कल पैसे दिए जाएंगे, लेकिन आज सुनने वाला कोई नहीं है।
ऐसे में हेमंत सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमि है कि आखिर प्रवासी लोगों, जिनमें प्रायः मजदूर संवर्ग के बच्चे-महिलाएं हैं, उन्हें वापस अपने घर भेजने की कैसी व्यवस्था कर रखी है। महज कागजी कार्रवाई करने वाले सरायकेला उपायुक्त पर की कार्यशैली भी कम अमानवीय नहीं है।