जमशेदपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। सरायकेला जिला के राजनगर थाना परिसर में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के कक्षा 9वीं की नाबालिग छात्रा की शादी मामले को लेकर राज्य बाल संरक्षण आयोग का रवैया ठीक नहीं प्रतीत हो रहा है।
बाल संरक्षण आयोग का अब तक पीड़ित छात्रा से नहीं मिलना और राजनगर का दौरा नहीं करना इसके संकेत है। वहीं राज्य महिला आयोग आनन-फानन में जो कदम उठाए वह बेहद ही हास्यास्पद प्रतीत हो रहा है।
इधर सरायकेला पुलिस बेहद ही चतुराई से कुछ पत्रकारों के माध्यम से झूठी और तथ्यविहीन खबरें शोसल साइट्स पर चलवाकर मामले को उलझाने का हर संभव प्रयत्न कर रही है। किसी तरह से मामला ठंडे बस्ते में चली जाए।
वैसे सरायकेला जिला प्रशासन की ओर से मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राजनगर थाने में लड़की के चाचा, ससुर, पति एवं अन्य ग्रामीणों पर मामला दर्ज करा केवल खानापूर्ति की गई है, जबकि कुछ अख़बार चीख- चीख कर ग्रामीणों का नाम छापा था।
राज्य बाल संरक्षण आयोग की भूमिका इसलिए भी सवालों के घेरे में है कि इतना बड़ा अपराध हो गया और उनकी अध्यक्षा अभी भी यह कहते सुने जा रही है कि दो-चार दिनों में वहां का दौरा करूंगी। जो बेहद ही हास्यास्पद है।
इससे साफ समझा जा सकता है कि राज्य बाल संरक्षण आयोग सरायकेला खरसावां जिला पुलिस को वाक ओवर देने का प्रयास कर रही है।
इधर सूत्रों की अगर मानें तो कुछ कुड़मी नेता और कुड़मी समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के लोग मामले को रफा दफा करने में जुट गए हैं। अगर ऐसा हुआ तो मामले में दोनों परिवार ही सदस्य फंसेंगे और बाकी सब दोषमुक्त माने जाएंगे।
वैसे एक्सपर्ट मीडिया पूरे मामले पर पैनी निगाह रख रही है। इस मामले की सच्चाई और जमीनी हकीकत लिखने का काम उस वक्त तक करेगी, जब तक मामला दूध का दूध और पानी का पानी नहीं हो जाता।