सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा में एक से एक घूसखोर कर्मचारी भरे पड़े हैं। उनके रग रग में भ्रष्टाचार दौड़ रहा है। नालंदा के चंडी प्रखंड में तो गजब का सिस्टम है।
चंडी (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। एक पत्रकार की जमीन पर अतिक्रमण हटाने को लेकर जमीन नापी कराने के एवज में चंडी अंचलाधिकारी के मातहत कार्य करने वाले अंचल अमीन 2200 रूपये की मांग कर रहे हैं तो वहीं चंडी सीओ द्वारा थाने से जमीन नापी के लिए सुरक्षा बल की मांग थाने से की तो थानाध्यक्ष पत्रकार से वाहन में तेल भरा देने की फरमाइश कर दी।
पत्रकार द्वारा नजराना पेश नही करने पर उनके जमीन की नापी नही हो सकी है।एक पत्रकार अपने जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए पिछले कई साल से लगें हुए है। लेकिन पत्रकार चंडी प्रखंड के लिजलिजे सिस्टम के शिकार है।
चंडी प्रखंड के नवादा गाँव निवासी एक हिन्दी दैनिक के स्थानीय पत्रकार जमीन रैयती है। जिसे उन्होंने अपने गोतिया से दो बार में आठ डिसमिल से ज्यादा खरीदी थी। आर्थिक तंगी की वजह से उनके जमीन की घेराबंदी नहीं हो सकी।
इसका लाभ उठाते हुए गांव के ही शुकदेव तथा कमलेश रविदास ने उनके जमीन पर दीवार लगाना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत उन्होंने तत्कालीन सीओ महेंद्र सिंह तथा थानाध्यक्ष कमलेश शर्मा से की। सत्यता की परख करने के बाद चौकीदार द्वारा निर्माण कार्य स्थगित कराया गया।
गाँव के कुछेक बिचौलिया तबके के लोग जो गांव के सौहार्द से गुरेज रखते हैं इस कार्य में पर्दे के पीछे से लगे हुए हैं। पत्रकार की सहनशीलता के कायल ये कूटनीतिक कुचाली लोग मारपीट कराने से विफल रहे तो उतर की तरफ पिछले वर्ष रामनवमी के मौके पर फिर से दीवार लगाना शुरू कर दिया।
पत्रकार द्वारा पुनः थाने को सूचना देने पर थानेदार ने इसे अतिक्रमण करार देते हुए सीमांकन कराने को कहा। सीमांकन के आवेदन अप्रैल में उन्होंने सीओ को दिया। जिसकी नापी को लेकर अक्टूबर में अमीन को भेजा गया।
अतिक्रमणकारी बलात् मापी कार्य पूरब में करने नही दिया। पुलिस बल मौके पर पहुँच कर शांति स्थापित कर दी। दोनों पक्षों को थाने पर बुलाया गया। लेकिन प्रतिपक्षी उपस्थित नहीं हुए।
सात माह बाद पत्रकार के अथक प्रयास के बाद 27 मार्च को सीमांकन कराने की तारीख रखी गई थी। लेकिन अंचल अमीन दो बजे तक स्थल पर नहीं पहुँचे। अंचल कार्यालय से संपर्क करने पर अमीन से संपर्क करने को कहा गया।
अंचल अमीन ने पत्रकार से 2200 रूपये की मांग की गई। अंचल अमीन ने कहा कि उनका पेट नहीं भरता है, रूपये दीजिएगा, तभी नापी होगा। साथ ही थाना से संपर्क करने को कहा।
थानाध्यक्ष से संपर्क करने पर पत्रकार को बताया गया कि थाना की जीप को इंस्पेक्टर लेकर गए हैं। अतिक्रमण हटाने के नाम पर महीना में पांच हजार का डीजल खर्च होता है। आप तेल भरवा दीजिए तो पुलिस बल स्थल पर चल जाएगी।
दिन भर पत्रकार भूखे प्यासे इस आशा में दौड़ते रहे कि उनके जमीन से अतिक्रमण हट जाएगा ।लेकिन वे अमीन और थाना का चक्कर काटते रह गए।
देखा जाए तो भूमि विवाद निराकरण अधिनियम उतारने की जिम्मेवारी अंचलाधिकारी और संबंधित थाने की है। बावजूद इसके अंचल व थाना भूमि विवाद को त्वरित निष्पादन करने के वजाय कान में रूई ठूसे विवाद को प्रायः लंबा खीचते रहे हैं।
इससे क्षेत्र में अशांति स्थानीय प्रशासन पर आक्रोश बढ़ते देखा जा रहा है।अतिक्रमकारी लगातार प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं। जबरन भूमि पर कब्जा करने के कारण क्षेत्र में कई समस्याएँ बढ़ रही है।
इस मामले को लेकर हत्याएं तक हो जाती है। कल को भूमि विवाद में पत्रकार के साथ कुछ होता है तो इसकी जवाबदेही किसकी होगी।
वहीं दूसरी तरफ चंडी बाजार में करोड़ों की सरकार जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है। लोगों ने मकान बनाने के नाम पर आहर, नहर को भी अपने कब्जे में कर रखा है। यहाँ तक कि लालगंज में सड़क पर दो इंच कब्जा कर रखा है।
चंडी के मुख्य बाजार, लालगंज, भगवान पुर रोड सब जगह सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कायम है। कुछ साल पूर्व तक चंडी अंचलाधिकारी के फाइल में 89 अतिक्रमणकारियों की सूची थी, आज वह बढ़ कर सैकड़ों की संख्या में होगी।
गाँव देहात में कब्जे और होंगे लेकिन कार्रवाई के नाम पर शून्यता। उपर से अतिक्रमण हटाने में अंचल के अमीन की पॉकेट गर्म करिए।