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विजिलेंस ने दो लाख रुपये घूस लेते अंचलाधिकारी को दबोचा

पटना (नालंदा दर्पण न्यूज डेस्क)। बिहार की राजधानी पटना में निगरानी विभाग (विजिलेंस) ने डंडारी अंचल कार्यालय परिसर से अंचलाधिकारी (सीओ) राजीव कुमार और डाटा ऑपरेटर कुंदन कुमार को दो लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह राशि जमाबंदी और जमीन बंटवारे से संबंधित कार्य के लिए रिश्वत के रूप में ली जा रही थी। इस घटना ने क्षेत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को और तेज कर दिया है।

निगरानी विभाग के डीएसपी अरुणोदय पांडेय ने बताया कि डंडारी थाना क्षेत्र के बांक गांव निवासी विजय कुमार चौरसिया ने एक परिवाद पत्र दायर किया था। विजय ने बताया कि वह और उनके दो भाई अपनी पैतृक जमीन का बंटवारा करना चाहते थे और इसके लिए अलग-अलग जमाबंदी रसीद की जरूरत थी। इसके लिए डंडारी अंचल कार्यालय में कार्यरत सीओ राजीव कुमार ने शुरू में तीन लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी। शिकायत के बाद निगरानी विभाग ने मामले की जांच शुरू की और सत्यापन के बाद रिश्वत की राशि दो लाख रुपये पर तय हुई।

जांच के बाद निगरानी विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया और एक सुनियोजित जाल बिछाया। 8 सितंबर को निगरानी थाने में औपचारिक रूप से मामला दर्ज किया गया। मंगलवार को डाटा इंट्री ऑपरेटर कुंदन कुमार ने सभाकक्ष में बैठे सीओ राजीव कुमार के टेबल पर दो लाख रुपये रखे। जैसे ही यह राशि टेबल पर रखी गई, विजिलेंस की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान मौके से रिश्वत की राशि भी बरामद की गई।

गिरफ्तारी के बाद एक वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें सीओ राजीव कुमार दावा कर रहे हैं कि विजिलेंस ने डाटा ऑपरेटर कुंदन कुमार को रिश्वत लेते पकड़ा और उनके माध्यम से उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है। इस वीडियो ने मामले को और भी चर्चा का विषय बना दिया है। हालांकि निगरानी विभाग ने साफ किया कि दोनों की गिरफ्तारी पुख्ता सबूतों के आधार पर की गई है और जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है।

यह घटना बिहार में सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करती है। आम जनता को बुनियादी सुविधाओं और अधिकारों के लिए रिश्वत देने की मजबूरी कई बार सामने आती रही है। विजिलेंस की इस कार्रवाई को स्थानीय लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साहसिक कदम मान रहे हैं, लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या ऐसी कार्रवाइयां भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए पर्याप्त हैं?

निगरानी विभाग ने बताया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। गिरफ्तार सीओ और डाटा ऑपरेटर से पूछताछ जारी है और मामले में अन्य संलिप्त लोगों की जांच भी की जा रही है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम आगे भी जारी रहेगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

स्थानीय लोगों में इस कार्रवाई को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि ऐसी कार्रवाइयां तभी प्रभावी होंगी जब इनका असर निचले स्तर तक पहुंचे और भ्रष्टाचार की संस्कृति को पूरी तरह खत्म किया जाए।

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