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    Saturday, April 19, 2025
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      तेजस्वी यादव ने शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार पर फेंका ब्रह्मास्त्र

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर जमकर हमला बोला। अपनी प्रेस वार्ता में उन्होंने शराबबंदी को अवैध उगाही, तस्करी और भ्रष्टाचार का हथियार करार देते हुए सरकार की मंशा और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए।

      तेजस्वी ने इसे गरीबों, दलितों और अतिपिछड़ों के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश बताया, जिसके जरिए सामाजिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। उनकी प्रेस वार्ता ने बिहार की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है।

      काला बाजार की समानांतर अर्थव्यवस्थाः तेजस्वी ने दावा किया कि बिहार में शराबबंदी के नाम पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का काला बाजार फल-फूल रहा है। उन्होंने कहा, “यह नीतीश सरकार की सबसे बड़ी विफलता है। शराबबंदी का कानून लागू होने के बावजूद बिहार में एक समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है। जिसमें तस्कर, पुलिस और कुछ प्रभावशाली लोग मिले हुए हैं।” उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सरकार इतनी सख्त है, तो फिर शराब की आपूर्ति और बिक्री अब तक क्यों नहीं रुकी?

      आंकड़ों का हवाला: प्रेस वार्ता में तेजस्वी ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत अब तक 9,36,949 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 14,32,837 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 99% से अधिक लोग गरीब, दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों से हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “इस सरकार की हिम्मत नहीं कि यह गैर-दलित, गैर-पिछड़े या प्रभावशाली लोगों को जेल भेजे। कानून सिर्फ गरीबों को कुचलने के लिए बनाया गया है।”

      विदेशी शराब का रहस्यः तेजस्वी ने सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि बिहार में अब तक 3,86,96,570 लीटर शराब बरामद की गई है, जिसमें 2,10,64,584 लीटर विदेशी और 1,76,31,986 लीटर देशी शराब शामिल है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या गरीब लोग 2 करोड़ लीटर से अधिक विदेशी शराब पीते हैं? यह शराब अमीर लोग पीते हैं, जिन्हें न तो पुलिस छूती है और न ही सरकार। यह साफ है कि शराबबंदी का कानून सिर्फ दलितों और अतिपिछड़ों को सताने का औजार बन गया है।”

      पुलिस की भूमिका पर सवालः नेता प्रतिपक्ष ने बिहार पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने पूछा, “अगर इतनी भारी मात्रा में शराब बिहार में आ रही है तो क्या पुलिस इसमें शामिल नहीं है? 9 लाख मुकदमे, 14 लाख गिरफ्तारियां, फिर भी शराब की सप्लाई रुक क्यों नहीं रही?” उन्होंने यह भी सवाल किया कि अब तक किसी जिला पुलिस अधीक्षक (SP), DSP या बड़े अधिकारी को निलंबित क्यों नहीं किया गया। तेजस्वी ने कहा, “सिर्फ गरीब और दलित ही दोषी हैं, अधिकारियों का कोई कसूर नहीं? यह नीतीश सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है।”

      DK टैक्स और भ्रष्टाचार का जालः तेजस्वी ने एक कथित DK टैक्स का जिक्र करते हुए सनसनीखेज आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि जो अधिकारी इस DK टैक्स का अधिक चढ़ावा चढ़ाते हैं, उन्हें सीमावर्ती जिलों में महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिलती है। उन्होंने कहा, “यह भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें हैं। अगर कोई सबूत मांगेगा, तो हम लंबी सूची दे सकते हैं।” तेजस्वी ने इसे NK-DK की जुगलबंदी” करार देते हुए कहा कि शराबबंदी की विफलता के लिए यही जिम्मेदार है।

      दलितों और अतिपिछड़ों पर अत्याचारः राजद नेता ने शराबबंदी को दलितों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों के खिलाफ एक सुनियोजित हथियार बताया। उन्होंने कहा, “इस कानून ने 14 लाख से अधिक परिवारों को उजाड़ दिया। पासी समुदाय के लोगों से उनका पारंपरिक रोजगार छीना जा रहा है। यह सरकार गरीबों का खून चूस रही है।” उन्होंने मांग की कि सरकार यह बताए कि उसने कितने परिवारों को बर्बाद किया और शराब की तस्करी में कौन-कौन शामिल है।

      पटना में शराब की उपलब्धताः तेजस्वी ने यह भी सवाल उठाया कि अगर पटना जैसे शहर में शराब आसानी से उपलब्ध है, तो इसका मतलब है कि यह बिहार की सीमा पार करने के बाद कई जिलों और थानों से होकर बिना पकड़े पहुंच रही है। उन्होंने कहा, “क्या यह संभव है कि इतने बड़े पैमाने पर तस्करी हो और पुलिस को पता न हो? यह सरकार की नाकामी नहीं, बल्कि उसकी साठगांठ है।”

      सरकार से जवाब की मांगः तेजस्वी ने अपनी प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधे जवाब मांगा। उन्होंने कहा, “आप बताएं कि शराब की सप्लाई कौन कर रहा है? अगर पुलिस दोषी नहीं है, तो तस्करी कौन करा रहा है? अगर 40 हजार करोड़ का काला बाजार चल रहा है तो इसका फायदा कौन उठा रहा है?” उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार शराबबंदी के नाम पर दलितों और गरीबों पर हो रहे अत्याचार को तुरंत रोके।

      सियासी तूफान की शुरुआतः तेजस्वी की इस प्रेस वार्ता ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है। राजद समर्थकों का कहना है कि यह शराबबंदी की सच्चाई को उजागर करने वाला एक साहसिक कदम है। जबकि सत्ताधारी जदयू और भाजपा ने इसे “बेबुनियाद आरोप” करार दिया है। जदयू के एक प्रवक्ता ने कहा, “शराबबंदी बिहार के लिए एक सामाजिक सुधार था, लेकिन राजद इसे बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।”

      बहरहाल, बिहार में शराबबंदी को लेकर यह विवाद अब और गहरा गया है। तेजस्वी यादव के इन आरोपों ने नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या सरकार इन सवालों का जवाब दे पाएगी या यह मुद्दा आगामी चुनावों में विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन जाएगा?-

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