पटना (INR)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गया जिला के मोहरा प्रखण्ड अन्तर्गत गहलोर ग्राम में पर्वत पुरूष दशरथ मांझी की प्रतिमा का अनावरण किया तथा दशरथ मांझी के समाधि स्थल के विकास एवं सौंदर्यीकरण कार्य का उद्घाटन किया। तत्पश्चात मुख्यमंत्री ने गहलोर घाटी मैदान में पर्वत पुरूष दशरथ मांझी महोत्सव का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया।
इस अवसर पर आयोजित समारोह में उपस्थित विशाल जन समूह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मेरे लिये खास दिन है। दशरथ मांझी को पहले से जानते थे। 2006 में जब हम आपके जनादेश से मुख्यमंत्री थे और जब हमने जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम शुरू किया था तो उनसे निरंतर मिलते रहे। मुझे याद है कि वे एक बार मिलने आये थे तो जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में मैं पत्रकारों से बातचीत कर रहा था, तब मैंने दशरथ मांझी को देखा तो मैंने उनसे कहा कि जिस कुर्सी पर मैं बैठा हूँ, उस पर आप बैठें और आप पत्रकारों को संबोधित करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दशरथ मांझी ने अद्भूत काम किया। पहाड़ को काट-काट कर 22 वर्षों में रास्ता बना दिया। उनकी पत्नी का निधन पतले रास्ते में गिरने से हो गया था। उसके बाद उन्होंने यह संकल्प लिया कि पहाड़ों को काटकर रास्ता का रूप देंगे और 22 साल में उन्होंने अद्भूत एवं अकल्पनीय कार्य कर दिखाया। उनके बारे में यह भी जानकारी मिली कि एक बार वे ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे, रास्ते में उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया और वे रेलवे लाइन के किनारे-किनारे पैदल ही दिल्ली चले गये। ऐसा दृढ़ संकल्प वाला व्यक्ति मैंने नहीं देखा है। धीरे-धीरे उनकी तबीयत खराब हुयी, सरकार की ओर से जो बन पड़ा, किया गया किन्तु कूदरत की चीज है, उनका निधन हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दशरथ मांझी को आने वाली पीढ़ी हमेशा याद रखेगी। उन्होंने कहा कि हमारी गहलोर आने की बहुत ही इच्छा थी और आज वह मौका मिला। उन्होंने कहा कि आज हम पूर्णिया गये थे, प्रधानमंत्री जी आये थे। 18 जिलों में बाढ़ की स्थिति है, बाढ़ की ऐसी विभीषिका को देखकर आश्चर्यचकित हैं। तीन दिनों में नेपाल क्षेत्र में 600 एम.एम. बारिश और बिहार के उतरी क्षेत्र में 400-500 एम.एम. बारिश हुयी। सड़क, पुल/पुलिया क्षतिग्रस्त हो गया। एन.एच. का भी पुल टूट गया। प्रधानमंत्री जी के साथ आज हवाई सर्वेक्षण भी हुआ। प्रधानमंत्री ने बैठकर समीक्षा भी की। बाढ़ के संबंध में पूरी जानकारी ली और मदद का आशवासन भी दिया। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन नेपाल के प्रधानमंत्री बोधगया आयेंगे। उनसे भी मुलाकात कर हम बाढ़ के स्थायी समाधान के संबंध में चर्चा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गहलोर आकर आत्मिक संतोष की अनुभूति हुयी है। जिस आदमी को जानते थे, उनके काम को देखने का अवसर मिला है। उनके द्वारा पहाड़ को काटकर बनाये गये रास्ते का अवलोकन किया। रास्ता थोड़ा उंचा है, काफी चढ़ाई है, सब मैंने देखा है। देखने के बाद ऐसा लगता है कि उसे नीचा करना पड़ेगा। जितना भी जरूरी होगा, रास्ते को नीचे किया जायेगा। पथ निर्माण विभाग को कह कर उसे टेकअप कराया जायेगा।
उन्होंने कहा कि मोहरा प्रखण्ड अभी अतरी में चलता है। डी.एम. से प्रतिवेदन माँगा गया है, उसके पश्चात आगे की कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि दशरथ मांझी की जीवनी टेक्सटबुक में शामिल हो चुका है ताकि आने वाली पीढ़ी को उनके बारे में जानकारी मिल सके। उनके परिवार का भी समुचित ध्यान रखा जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा संकल्प न्याय के साथ विकास का है। समाज के हर तबके का विकास, हर इलाके का विकास है। जो तबका हाशिये पर है, उनका विकास कर उन्हें मुख्य धारा में लाना ही मेरा उद्देश्य है।
उन्होंने कहा कि इस स्थान को पर्यटन स्थल बनने से कोई रोक नहीं सकता क्योंकि दशरथ मांझी जी के प्रति लोगों का लगाव है और यह आने वाली पीढ़ी के लिये बहुत बड़ी बात है।
उन्होंने कहा कि गया ऐतिहासिक स्थल है, कहीं भी जमीन खोद दीजिये, कुछ न कुछ ऐतिहासिक चीज निकल जायेगी, यह अद्भूत जगह है। यह ज्ञान और मोक्ष दोनों की भूमि है। गया और मगध का महत्व कभी कम नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पितृपक्ष मेला शुरू होने वाला है। हम आज इसकी तैयारियों की समीक्षा भी करेंगे। आने वाला पितृपक्ष मेला ऐसा हो कि यहाॅ आने वाले लेाग अच्छा अनुभव और अच्छा भाव लेकर जायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अत्यंत ही महत्व का दिन है। आज का दिन देश के प्रधानमंत्री से शुरू हुआ। उसके बाद दशरथ मांझी के समाधि स्थल पर आये। पितृपक्ष मेला की तैयारियों का जायजा लेंगे और उसके बाद नेपाल के प्रधानमंत्री से मिलकर वार्ता करेंगे इसलिये आज का दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने लोगों से अपील की कि महोत्सव में भाग लेकर दशरथ मांझी जी की यादों को ताजा करें। उन्होंने कहा कि मन में दृढ़ संकल्प होगा तो काम कितना भी कठिन हो, कामयाबी जरूर मिलेगी। उन्होंने दशरथ मांझी को पुनः श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। मुख्यमंत्री ने दशरथ मांझी के समाधि स्थल पर वृक्षारोपण भी किया।