“एक सितंबर से पहले भारी पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि….”
भारतीय चुनाव आयोग ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि एक सितंबर से चार जनवरी, 2019 के बीच ऐसे किसी प्रशासनिक अधिकारी का तबालता नहीं किया जाए, जो मतदाता सूची को अपडेट करने के काम से किसी तरह जुड़ा हुआ है। आयोग एक सितंबर को मतदाता सूची जारी करेगा, जिसके बाद इसे अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
इसके मद्दनेज़र एक सितंबर से पहले भारी पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं। आयोग के निर्देश का स्पष्ट मतलब है कि चार जनवरी ही नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया खत्म होने तक सरकार ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर पाएगी क्योंकि जनवरी में ही आय़ोग चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है।
अधिसूचना जारी होने के बाद बिना चुनाव आयोग की सहमति के राज्य सरकार अधिकारियों का तबादला नहीं कर सकती। आयोग के इस फैसले के कुछ ही घंटों के भीतर राज्य के 11 जेल अधीक्षकों के तबादले का आदेश जारी हुआ है।
माना जा रहा है कि एक सितंबर से पहले राज्य प्रशासनिक सेवा में भारी फेरबदल होगा। आयोग के इस फैसले के साथ ही राज्य में चुनावी सुगबुगाहट तेज हो गई है। एक सितंबर से प्रशासनिक मशीनरी भी इलेक्शन मोड में चली जाएगी।