हिलसा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। तीन बीत जाने के बाद भी हिलसा में बीएसएनल की सेवा दुरुस्त नहीं हो सकी। काफी मशक्कत के बाद किसी प्रकार इंटरनेट की सेवा बहाल तो हो गई लेकिन लैंड-लाईन और मोबाईल अभी भी बदहाल स्थिति में है। डिजिटल सेवा को बढ़ावा देने का केन्द्र सरकार जितना भी दावा करे पर स्थिति ठीक विपरीत है। डिजिटल सेवा का आधार माने जाने वाला बीएसएनल की स्थिति बद से बदतर है।
इसका अंदाजा नालंदा जिले के हिलसा शहर स्थित दूरभाष केन्द्र की स्थिति से लगाया जा सकता है। शहर स्थित दूरभाष केन्द्र से अनुमंडल के सभी एक्सचेंज जुड़ा हुआ है। इससे जुड़े एक्सचेंज में खराबी आती है तो एक्सचेंज विशेष का इलाका प्रभावित हो सकता है।
हालांकि एक्सचेंज कभी फेल नहीं हो इसके लिए विभाग द्वारा बेहतर सेवा देने का कागजी खाका तैयार किया गया है। एक्सचेंज को सर्किल सर्किट से जोड़ देने का भले ही कागजी दावा किया जाता हो लेकिन हकीकत ठीक इसके विपरीत है।
इसका खुलासा तब होता है सर्किट में दोष आने के बाद पूरा एक्सचेंज काम करना बंद कर देता है। जबकि सर्किल सर्किट से जुड़े होने पर एक्सचेंज को बंद नहीं होना चाहिए। किसी न किसी सर्किट से चालू रहना चाहिए।
हद तो तब हो जाती है जब सेवा ठप होने पर कोई कर्मी और अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं होते। न तो कोई लैंड-लाईन कॉल उठाते और न ही मोबाईल। ऐसे में परेशान बीएसएनएल से जुड़े उपभोक्ता के समक्ष ‘किं कर्तव्य विमूढ़म्’ वाली हो जाती है।
सेवा में त्रुटि से त्रस्त बीएसएनएल से दूर हुए लोग
बेहतर सेवा का भरोसा देने का कागजी दावा और हकीकत में फर्क भांप बीएसएनएल से जुड़े उपभोक्ता खुद को दूर कर लिए। नब्बे के वक्त में एक छोटे से मकान में संचालित बीएसएनएल के एक्सचेंज से कन्केशन लेने वालों की एक लंबी कतार होती थी।
बीएसएनल के प्रति लोगों के रुझान को देख दूरसंचार विभाग हिलसा में लाखों रुपये की लागत से बड़ा भवन बनवाकर शक्तिशाली एक्सचेंज बनवाया, लेकिन स्थिति ‘ठाक के तीन पात वाली’ कहावत को चरितार्थ हुई। लंबी कतार में लगे लोगों के घरों में टेलीफोन की घंटी घन-घनाने लगी तो लोगों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
कुछ वर्ष बाद ही उपभोक्ताओं के लिए टेलीफोन सिरदर्द बन गया। इसका मुख्य वजह सेवा में त्रुटि रहा। खराब होने पर मरम्मत करवाने में होने वाली परेशानी को देख लोगों का मोह टेलीफोन से भंग होने लगा।
स्थिति ऐसी हो गई कि कभी हजार उपभोक्ता वाले हिलसा में अब उपभोक्ताओं की संख्या सैकडा में हो गई। इसमें अधिकांश उपभोक्ता सरकारी कार्यालय से जुड़े कार्यालय और अधिकारी आवास है। कुछेक ऐसे उपभोक्ता हैं जो आम जनता से हैं।
लैंड-लाईन जैसी स्थिति बीएसएनएल के मोबाईल की भी रही। कभी कतार में खड़े होकर बीएसएनएल का सीम कार्ड लेने वाले बदतर सेवा के कारण दूसरे ऑपरेटर का सेवा ले लिए।
छुट्टी में एक्सचेंज का बंद होना बन गई है नीयति
शहर स्थिति टेलीफोन एक्सचेंज अक्सरहां छुट्टी के दिन ही बंद होता है। बंद का कारण एक्सचेंज में दोष हो या फिर केबुल में फ्लॉट। छुट्टी के दिन में बंद होने वाला हिलसा एक्सचेंज तभी ठीक होता है जब कार्यालय खुलता है। चाहे छुट्टी एक दिन हो या फिर ज्यादा दिन।
ऐसा लगता है कि छुट्टी के दिन एक्सचेंज संचालन के लिए किसी की जिम्मेवारी नहीं होती। अगर जिम्मेवारी रहती भी होगी तो अधिकारी ठीक करने का कागजी खानापूर्ति कर अपने कर्तव्य का ईती-श्री कर लेते होंगे। ऐसे दावे का आधार छुट्टी में खराब होने वाला एक्सचेंज अक्सरहां ऑफिस डे होने पर ही चालू होना है।