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108 एंबुलेंस की देरी से हुई थी नवजात की मौत, मानवाधिकार आयोग का संज्ञान, पीड़िता को दें एक लाख रुपए

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जमशेदपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। वर्ष 2018 के एक मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली ने संज्ञान लेते हुए झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव को चिट्ठी लिखकर एक लाख का जुर्माना जमशेदपुर के चाकुलिया की मेनका पातर को देने का आदेश जारी किया है।

26 मई को झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव के नाम जारी नोटिस के अनुसार पिछले 6 सितंबर 2018 को चाकुलिया के बड़ीकानपुर के कालापाथर पंचायत के नरसिंहपुर निवासी सुभाष पातर की पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर 108 एंबुलेंस को सूचना मिलने पर समय से नहीं पहुंची, जिससे नवजात की मौत हो गई।

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वहीं आयोग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच के दौरान चालक सागर मंडल और इएमटी स्टॉफ शांतनु प्रमाणिक को दोषी मानते हुए राज्य के स्वास्थ्य सचिव से पीड़ित महिला को एक लाख रूपए देने का निर्देश जारी किया है।

आयोग की ओर से सचिव को चार हफ्ते की मोहलत देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अगर चार हफ्ते के भीतर पीडित महिला को जुर्माने की राशि नहीं सौंपी जाएगी तो इसे अपराध माना जाएगा और विभाग के सचिव पर भी कार्रवाई की जा सकती है।

गौरतलब है कि उक्त घटना को लेकर तत्कालीन बहरागोड़ा विधायक कुणाल षाडंगी ने भी 108 एंबुलेंस की लापरवाही बताते हुए तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी।

वहीं जमशेदपुर उपायुक्त ने भी अपने जांच में एंबुलेस चालक को दोषी बताया था। उधर मामले की गंभीरता को देखते हुए कोडरमा निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने 5 सितंबर 2018 को आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी।

अब देखना है कि आयोग के आदेश के बाद विभाग और सरकारी तंत्र पर कितना असर होता है और पीड़िता को कब तक हर्जाना मिलता है। यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल, पीड़िता के लिए आयोग के इस फैसले को राहत के रूप में देखा जा रहा है।

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