“नाग देवता को देख मंदिर परिसर में मौजूद लोग घबराकर इधर-उधर भागने लगे। लोगों को भागते देख नाग देवता स्थित होकर फूंफकार मारने लगे। नाग देवता की स्थिर देख भाग रहे लोग नजदीक गये और शुरु हुआ पूजा-अर्चना का दौर…”
मुख्य पुजारी संयोगानंद पाठक ने बताया कि धाम परिसर में नाग देवता में आने की खबर सुनकर श्रद्धालुओं उमड़ पड़े। हर लोग नाग देवता से अपनी-अपनी मिन्नतें मांगी। नाग देवता को भोजन के लिए दूध और लावा दिया गया। सिर्फ दूध का सेवन कर नाग देवता धाम परिसर से शांत भाव से चले गये।
पुजारी श्री संयोगानंद की मानें तो सावन माह में भगवान भोले शंकर की पूजा का खास महत्व होता है। ऐसे में बाबा भोले के गले का हार बने नाग देवता दर्शन दिया तो यह बेहतर संयोग माना जाएगा।
मालूम हो कि पहले बुढ़वा महादेव के नाम जाना जाने वाला मंदिर का जीर्णोद्धार बाद बाबा अभयनाथ धाम नाम दिया गया।
आमजन के सहयोग से धाम के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च हुआ है। धाम परिसर में सभी भगवान की मूर्तियां हैं। धाम परिसर के बीच तालाब में स्थित बााबा भोले का मंदिर और पहाड़ के बीच गुफा में स्थापित मूर्तियां आकर्षक का केन्द्र है।