एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (नालंदा)। हालिया गठित हिलसा अनुमंडल पत्रकार संघ में आज सीधे दो फाड़ हो गया। एक तरफ जहां चंडी में एक पत्रकार के आवास पर आहुत बैठक में दर्जन भर पत्रकारों ने ‘हिलसा आंचलिक पत्रकार’ नामक संगठन का गठन कर नई हुंकार भरी, वहीं नगरनौसा प्रखंड कार्यालय के सभा कक्ष में अनुमण्डल पत्रकार संघ ने मासिक बैठक कर अपनी ताकत का परिचय दिया।
इस बैठक में हिलसा के अनुमंडल पदाधिकारी, नगरनौसा बीडीओ सरीखे अफसर शरीक हुये। इस बैठक में हिलसा डीएसपी भी शामिल होने वाले थे लेकिन, किसी कारणवश नहीं आ सके।
“यहां बैठकोपरांत मटन-चिकन-पनीर-पोलाव-मिठाई आदि जैसे खाने-पीने के व्यापक इंतजाम किये गये थे।”
रविवार को छुट्टी के दिन एसडीओ के किसी पत्रकार संघ की सरकारी कार्यालय भवन सभागार में आयोजित मासिक बैठक में शामिल होने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। क्योंकि संगठन में विवाद की जद एसडीओ ही रहे और आज संघ के दो फाड़ होने के समय वहीं दिखाई दिये।
सबसे रोचक चर्चा इस बात की है कि एसडीओ की चाय-चर्चा से शुरु वैचारिक मतभेद अंततः चिकन-मटन-पनीर पर खत्म हो गई, लेकिन टूटने-बिखरने के बाद।
बता दें कि अनुमण्डल पत्रकार संघ की व्हाट्सएप् ग्रुप में संघ के अध्यक्ष ने एसडीओ द्वारा दहेज बंदी मानव श्रृखंला दिवस के पूर्व चाय पर संघ से जुड़े अनुमंडल के सभी आंचलिक पत्रकारों को आमंत्रित किये जाने की सूचना जारी की थी। इसे लेकर ग्रुप में सदस्यों के द्वारा तरह-तरह की टिप्पणियां की गई।
कई सदस्य ने एसडीओ के चाय निमंत्रण और अध्यक्ष की मानसिकता पर सबाल उठाये। इससे खफा होकर ग्रुप के एडमिन ने कई सदस्यों को रिमूव कर दिया तो कई लोग ग्रुप से खुद लेफ्ट हो गये।
इसके बाद हिलसा अनुमण्डल पदाधिकारी के कार्यालय में निर्धारित समय पर पत्रकारों की चाय पार्टी का आयोजन हुआ। इस पार्टी में हिलसा डीएसपी भी उपस्थित थे, लेकिन अध्यक्ष पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुये अनेक विक्षुब्ध पत्रकार शामिल नहीं हुये।
इसके बाद अनुमण्डल पत्रकार संघ के किसी भी पदाधिकारी ने आहत विक्षुब्ध पत्रकारों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजतन, दर्जन भर आंचलिक पत्रकारों ने आज चंडी में बैठक कर ‘हिलसा आंचलिक पत्रकार’ नामक संगठन बना कर अपनी हक-हकूक की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया।
बहरहाल, पूरा मामला देखने से साफ जाहिर होता है कि हिलसा अनुमंडल के आंचलिक पत्रकार पूरी तरह से दो फाड़ हो चुके हैं। उसमें एक फाड़ जहां सरकारी महकमे के साथ खड़ा प्रतीत होता है, वहीं दूसरा फाड़ अपनी हक-हकूक की खुद बिगुल फुंकते।