“खेत नहीं बिकने से पेशोपेश में पड़े रैयत, हर रोज लगा रहे हैं ऑफिस का चक्कर, जमीन को शहरी इलाके में सुमार किए जाने से उत्पन्न हुई समस्या “
हिलसा (चन्द्रकांत)। नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड के इंदौत गांव के रैयत इन दिनों सरकारी अक्षर में लिखे अंश का दंश झेलने को विवश हैं। खेत नहीं बिकने से पेशोपेश में पड़े रैयत हर-रोज लगा रहे हैं ऑफिस का चक्कर। गांव की जमीन को शहरी इलाके में सुमार किए जाने से उत्पन्न हुई समस्याक का निदान छह माह में भी नहीं हो पाया है।
वर्ष 2016 में हिलसा नगर परिषद के इलाके में आने वाले क्षेत्रों का एमभीआर तैयार किया गया। इस एमभीआर में वार्ड संख्या 26 के कुछ भू-भाग को इंदौत का अंश दर्शाया गया।
एमभीआर वर्ष 2017 के फरवरी माह से प्रभावी हो गया। एमभीआर के प्रभावी हो जाने के बाद से ही इंदौत हल्का के सभी जमीन की कीमत एक-बारगी बढ गई। इसका एहसास रैयतों को तब हुआ जब मजबूरन कुछ रैयत जमीन बेचने रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे तो कीमत देख खरीददार लिखाने से इंकार कर गए।
रैयतों को लगा कि अधिकारिक स्तर पर हुई भूल का सुधार हो जाने पर जमीन की रजिस्ट्री की जाएगी। अधिकारी स्तर पर हुई भूल का सुधार करीब छह माह बीत जाने के बाद भी नहीं हो पाया।
अब स्थिति यह बन गई जरुरतमंद रैयत चाहकर भी अपनी जमीन नहीं बेच पा रहे है। ऊंची कीमत हो जाने के कारण कोई खरीददार जमीन खरीदने को तैयार नहीं हो पा रहे।
ऐसे कई रैयतों द्वारा संबंधित अधिकारी के पास शिकायत भी दर्ज करायी गयी लेकिन फलाफल अबतक शुन्य रहा। इस कारण इंदौत हल्का की जमीन की बिक्री लगभग न के बराबर हो रही है।
रैयतों ने बताया कि अधिकारी जानबूझ कर एमभीआर में हुई त्रुटि में सुधार नहीं कर रहे ताकि रिपोर्ट की आड़ में अवैध आसानी से अवैध उगाही किया जा सके।
नगर परिषद में जुटा एक गांव, खामिजा भुगत रहा है पूरे महाल के रैयत
हिलसा नगर परिषद की सीमा पर बसा इंदौत गांव ग्रामपंचायत का मुख्यालय है। तकरीबन आठ वर्ष पहले हिलसा नगर पंचायत को उत्क्रमित कर नगर परिषद का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया शुरु हुई थी।
आबादी बढाने के लिए कई ग्रामपंचायत के इलाके को हिलसा नगर पंचायत में जोड़ने की अनापत्ति प्रखंड विकास समिति द्वारा दिया गया। ऐसे ही इलाके में शामिल है ग्राम पंचायत इंदौत के अंश लालसी बिगहा गांव।
नगर पंचायत को वर्ष 2010 में उत्क्रमित कर हिलसा नगर परिषद का दर्जा दे दिया गया। ग्राम पंचायत इंदौत के अंश लालसी बिगहा को वार्ड संख्या 26 में शामिल कर लिया गया। अधिकारियों की चूक के कारण नगर परिषद के गठन के एक लंबे अर्से बाद भी ग्राम पंचायत से जुड़े इलाकों शहरी एमभीआर में नहीं लाया जा सका।
बाईपास निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान मामला तब उजागर हुआ, जब ग्राम पंचायत से नगर परिषद में आए रैयत शहरी मुआवजा लेने पर अड़ गए। तब वर्ष 2017 में एमभीआर बना। इसी एमभीआर में सिर्फ लालसी बिगहा को दर्शाए जाने के बजाए दो अलग-अलग अधिसूचना में ‘इंदौत का अंश’ दर्शा दिया गया।
अब जो भी इंदौत महाल की जमीन बेचने रैयत आते हैं. उन्हें नये एमभीआर ‘इंदौत का अंश’ दिखा कर शहरी कीमत बताया जा रहा है।
कहते हैं अधिकारी
इंदौत के रैयतों के विवाद को सुलझाने का आदेश हिलसा के सीओ को दिया जा चुका है। इंदौत के जमीन का खेसरा पंजी तैयार किया जा रहा है। जल्द ही रैयतों की समस्या दूर हो जाएगी। …………… सृष्टि राज सिन्हा, एसडीएम, हिलसा।