नगरनौसा, नालंदा। भारत को गांव का देश कहा जाता है। इसकी आत्मा गांव में बस्ती है। लेकिन आज़ादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गांवों में अबतक मूलभूत सुविधाओं का घोर टोटा है। मौलिक अधिकार में शामिल शिक्षा, स्वास्थ ,शुद्ध पेयजल आदि जैसे भी अति महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना की भी घोर कमी नजर आती है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक लगातार गाँवों के उत्थान के लिए चाहे कितनी भी कल्याणकारी योजनाओं चलाने का दावा कर ले लेकिन, ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही वयां करती है।
कुछ ऐसा ही मामला नगरनौसा प्रखंड के एक मात्र आदर्श पंचायत के रूप में स्थापित करने वाले पंचायत आदर्श पंचायत भुतहाखार के जानकी बिगहा गांव से जुड़ा है। जहाँ आज़ादी के छाठ दशक बीत जाने के बाद भी गांव में अब तक मूलभूत सुविधाओं का घोर टोटा है। गांव जाने के लिए न तो सड़क है और न ही यहाँ के बच्चों के लिए शिक्षा का कोई समुचित व्यवस्था है और न ही स्वास्थ्य उपचार के लिए कोई उप स्वास्थ्य केंद्र।
यदि नगरनौसा प्रखंड के एकमात्र आदर्श पंचायत का गौरव हासिल करने वाला पंचायत भुतहाखार के गांव के ऐसी दयनीय हालात है तो शेष पंचायत के गांवों के बारे में क्या कहने।
क्या कहते है ग्रामीणः ग्रामीण नगेन्द्र कुमार यादव, गरीबन यादव, तोता प्रसाद, उपेन्द्र प्रसाद, किशोर प्रसाद, राजीव कुमार, पप्पू कुमार, नरेश कुमार, अजय कुमार, मुकेश कुमार सहित दर्जनों ग्रामीण ने बताया कि गांव की आबादी करीव आठ सौ है। फिर भी इस गांव में कुछ नही है। यहाँ न तो मुख्य मार्ग से आने के लिए न कोई सड़क है और न ही बच्चों के पढ़ाई के लिए कोई स्कूल। गांव में न ही नाली है और न ही पक्की गली। सब कच्चा है,जो बारिश के मौसम में गली में एक दो फिट नाली का गंदा पानी जमा हो जाता है।
ग्रामीण नरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि जब भी चुनाव आता है, विभिन्न पार्टी से जुड़े नेता लोग पहुँच कर गांव के विकास का भरोसा दे वोट ले चले जाते है औऱ जब विजयी हो जाते है तो पांच वर्ष मुड़ कर इस गांव की एक झलक देखने तक नही आते।
इस गांव में बच्चों के शिक्षा के लिए 15 वर्ष पूर्व एक विद्यालय भी बनाया गया लेकिन विद्यालय में 14वर्ष तक कोई पढ़ाई नही होने से खण्डहर में तबदील हो गया। पिछ्ले वर्ष पढ़ाई भी शुरू हुआ तो विद्यालय में कोई सुविधा उपलब्ध नही है।
इधर बीते दो माह से विद्यालय भी रेगुलर बन्द रहता है। गांव आज भी पिछड़ा है। गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर कमी है। गांव के उत्थान के लिए आज न तो इस ओर कोई ध्यान किसी जनप्रतिनिधियों के हैं और न ही प्रशासनिक पदाधिकारियों के। सब समस्या से अवगत होने के बावजूद कुम्भकर्ण के निंद्रा में है।
ग्रामीण नरेंद्र कुमार यादव, जबाहर प्रसाद, अशोक कुमार धर्मेन्द्र कुमार, चंद्र भूषण कुमार ने बताया कि सिर्फ कहने को भुतहाखार प्रखंड का आदर्श पंचायत है। आजादी के सात दशक बाद भी अब तक सड़क का निर्माण, शुद्ध पानी की समुचित व्यवस्था नहीं हुए हैं।
एक वर्ष पूर्व गांव में बिजली आई है और एक वर्ष पूर्व 15 वर्ष बाद 8 जनवरी गांव में विद्यालय खुली। वह भी दो महीना से बंद है। इस गांव के स्कूल में बगल के गांव वडीहा से एक शिक्षक मो. आज़ाद आलम को पदस्थापित किया गया। विद्यालय खुलने बक्त कुल 47वच्चों ने अपना नमांकन कराया था। जिसमें प्रथम वर्ग में 15, दूसरा वर्ग में 11, तीसरा वर्ग में 10, चौथा बर्ग में 9 बच्चों का नमांकन किया गया था। लेकिन सभी बच्चों ने विद्यालय में मूलभूत सुविधा न होने के कारण पिछले दो महीनों से विद्यालय आना बंद कर दिया है।
क्या कहते है स्थानीय विधायकः हरनौत विधान सभा के विधायक हरिनारायण सिंह कहते है कि गांव में सड़क की समस्या जल्द दूर हो जाएंगी। सड़क बनाने का टेंडर हो चुका है। जल्द ही सड़क बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। रही बात गांव में शिक्षा की तो गांव के विद्यालय में शिक्षक नियुक्त है।
क्या कहते है अधिकारीः प्रखंड विकास पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि पंचायत मुखिया को बोल कर गांव को सात निश्चय के तहत जोड़ा जायेगा।