बिहारशरीफ। लोक शिकायत निवारण कानून के तहत आने वाली शिकायतों का प्राथमिकता से निवारण का निर्देश जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम ने दिया है।
अधिकारियों द्वारा मामले की सुनवाई में अनुपस्थित रहने अथवा सक्षम अधिकारियों के सुनवाई में नहीं उपस्थित होने से इस महत्वपूर्ण अधिनियम के तहत कुछ मामलों का क्रियान्वयन समय सीमा के तहत नहीं हो पा रहा है, इसे जिलाधिकारी ने गंभीरता से लिया है।
इस अधिनियम के लागू होने से लेकर अब तक दोषी पाए गये 7 अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई है, कुछ पर प्राथमिकी भी दर्ज किए गए हैं।
लोक शिकायत निवारण अधिनियम के तहत लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के साथ आदेश के अनुरूप थानाध्यक्ष बिहारशरीफ पर 5000 के दंड अधिरोपित किए गए थे एवं उनसे इस की वसूली भी कर ली गई है।
वेन के अंचलाधिकारी सुबोध कुमार पर 5 हजार, राजगीर के अंचलाधिकारी उमेश नारायण पर्वत पर 5 हजार, सरमेरा के प्रखंड विकास पदाधिकारी कुंदन कुमार पर 5 हजार के दंड अधिरोपित किए गए हैं इनसे वसूली की कार्रवाई की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एएनएम सुविति,कुमारी एवं सीताराज कुमारी पर भी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश के अनुरूप प्राथमिकी दर्ज की गई है एवं अभी तक वह निलंबित है। वेन के राजस्व कर्मचारी मनोज कुमार पर भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों के पदाधिकारियों से कहा है कि इस अधिनियम का मूल उद्देश्य समस्याओं एवं शिकायतों का जड़ मूल से निवारण करना है । सीधे ऊपरी तौर पर मामलों का निष्पादन दिखा देने पर भी कार्यवाही होगी।
शिकायतों का समय पर निवारण होने से इस अधिनियम के प्रति लोगों में विश्वास भी बढ़ता जा रहा है। 5 जून 2016 को लागू होने से लेकर अब तक विभिन्न स्तरों पर 8379 शिकायती आवेदन इस अधिनियम के तहत जिला में प्राप्त हुए इनमें से 7701 का समय सीमा 60 दिन के भीतर निवारण किया जा चुका है अन्य मामलों में कार्यवाही जारी है।
लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा राज्य में चलाई जा रही किसी योजना कार्यक्रम या सेवा के संबंध में कोई नियमानुकूल देय लाभ प्राप्त करने अथवा इन इलाकों में अनावश्यक विलंब होने या किसी लोक पदाधिकारी के कार्य में विफलता अथवा नियमों के उल्लंघन के मामले में शिकायत की जा सकती है।
यह शिकायत अनुमंडल जिला एवं राज्य मुख्यालय में अवस्थित लोक शिकायत प्राप्ति काउंटर पर जाकर हाथों-हाथ किया जा सकता है।
आवेदन देने का दूसरा माध्यम ऑनलाइन वेब पोर्टल, ईमेल, डाक अथवा जन समाधान मोबाइल ऐप द्वारा भी हो सकता है। कोई भी नागरिक या नागरिकों का समूह इस अधिनियम के अंतर्गत निश्चित समय सीमा में अपने शिकायतों का निवारण व आदेश पत्र की प्रति भी निःशुल्क पाने का हकदार है।