पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। बिहार में मानव श्रृखंला बनाकर अपने चेहरे चमकाने का शायद प्रचलन बढ़ चला है। पहले शराबबंदी फिर दहेज और बाल विवाह के खिलाफ सीएम नीतीश कुमार द्वारा आहूत मानव श्रृखंला की समाप्ति के 9 दिन बाद केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की राजनीतिक पार्टी रालोसपा ने बिहार में गिरती शिक्षा व्यवस्था को लेकर पटना में मानव श्रृखंला का निर्माण किया।
इस मानव श्रृखंला को राजद का साथ मिला। जबकि एनडीए के घटक दलों ने श्री कुशवाहा से दूरी बनाई रखी। इसी बीच जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने एक विवादास्पद बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि कसाई और बकरी की दोस्ती कभी नहीं हो सकती है।
बिहार में दिन प्रतिदिन बदल रही राजनीतिक परिदृश्य के बीच मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री के द्वारा आहूत मानव श्रृखंला को लेकर राजनीतिक तेज हो गई हैं ।
केंद्रीय राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा के द्वारा बिहार में गिरती शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर मानव श्रृखंला का निर्माण कराया गया।
इस मानव श्रृखंला में श्री कुशवाहा को राजद का साथ मिला ।राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के साथ शिवानंद तिवारी, तनवीर हसन के साथ कई राजद नेता मानव श्रृखंला में शामिल हुए ।
राजद नेताओं के मानव श्रृखंला में शामिल होने पर पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “बिहार की बेबस एवं बदहाल शिक्षा व्यवस्था के विरुद्ध केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के मानव श्रृखंला में रामचंद्र पूर्वे, शिवानंद तिवारी तथा तनवीर हसन शामिल हुए ।”
इस मानव श्रृखंला में एनडीए के एक भी घटक दलों के नेता शामिल नहीं हुए। वहीं पूर्व राजद नेता साधु यादव को पहले से ही उपेन्द्र कुशवाहा का साथ मिला हुआ था।
गौरतलब रहे कि केंद्रीय राज्यमंत्री बिहार के कई जिलों में “शिक्षा बचाओ आक्रोश दिखाओं” सम्मेलन का आयोजन करते आ रहे थे।
इसी बीच बिहार में गठबंधन बदल गया। राजनीतिक परिस्थितियों से उन्हें परेशानी होने लगीं। बिहार में शिक्षा बचाओ अभियान पर निकले उनके सुर में अचानक बदल गए।
अक्टूबर में गाँधी मैदान में आयोजित रैली का उद्देश्य भी भटक गया ।फिर भी वे दबी जुबान में बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था के मामले पर बयान देते रहे।
केंद्रीय राज्यमंत्री के द्वारा बिहार में गिरती शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर बनाए गए मानव श्रृखंला और उसमें राजद नेताओं के शामिल होने पर जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक का विवादास्पद बयान आ गया।
उन्होंने राजद को कसाई और श्री कुशवाहा को बकरी की संज्ञा देते हुए कहा कि कसाई और बकरी के बीच कभी भी दोस्ती नहीं हो सकती है।
फिलहाल इस बयान को लेकर पलटवार जारी है।कांग्रेस के बयान से भी जदयू और भाजपा बैकफूट पर दिख रही है।
इस मानव श्रृखंला के बाद से बिहार की राजनीतिक महौल फिर गरम हो चली है। राजनीति में कहा जाता है ‘एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती है’।
कुछ ऐसा ही सीएम नीतीश और उपेन्द्र कुशवाहा के साथ है। बिहार की राजनीति में दोनों की राजनीति एक म्यान में फिट नहीं बैठती है।
राजद और रालोसपा की नजदीकी के कई मायने लगाएँ जा रहे हैं। एक नई राजनीतिक दोस्ती की शुरूआत हो चली है। कयास तो यह लगाया जा रहा है कि श्री कुशवाहा नालंदा में सीएम नीतीश कुमार को चुनौती दे सकते हैं।
आने वाले विधानसभा के पहले लोकसभा में एनडीए गठबंधन टूट जाएँ तो कोई आश्चर्य नहीं होनी चाहिए।