“जहां जिला प्रशासन और उसके चीफ डीएम ही नियमों-प्रावधानों की सरेआम अवहेलना करते हों, वैसे में व्यवस्था के क्या मायने रह जाते हैं। राजगीर की सांस्कृतिक विरासत के रोजाना लूटेरों को लेकर किसी से क्या उम्मीद किया जाये?”
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से नालंदा प्रशासन को साफ तौर पर कहा है कि वह पटना सर्किल कार्यालय द्वारा अनुमति प्राप्त होने तक किला मैदान में राजगीर महोत्सव की तैयारी बंद करें।
इसका सीधा अर्थ है कि नालंदा प्रशासन को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित व वर्जित अजातशत्रु किला मैदान क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं मिली। फिर भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के तमाम नियमों-अधिनियमों की अवहेलना करते हुये कार्य कराये गये हैं और कार्य कराये जा रहे हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार संरक्षित अजातशत्रु किला मैदान की प्रकृति से वगैर अनुमति छेड़छाड़ करना अपराध है। 6 ईंच की गहराई से अधिक छेद करते पाये जाने वाले दोषी की श्रेणी में होगें।
लेकिन तथाकथित राजगीर महोत्सव के नाम पर वगैर अनुमति के नालंदा प्रशासन और पर्यटन विभाग ने तमाम नियमों-अधिनियमों की बखिया उघेड़ डाली है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिये पक्के मंच का निर्माण कराया गया है। मुख्य तोरण द्वार से लेकर दर्जनों सरकारी गैर सरकारी व व्यवसायिक गैर व्यवसायिक स्टॉल लगाये गये हैं। छोटी-बड़ी कई झूले लगवाये गये हैं। यही नहीं, गहरे गढ्ढे खोद कर पक्के शौचालयों का भी निर्माण हुये हैं।
बहरहाल, नालंदा प्रशासन द्वारा बिना अनुमति अजातशत्रु किला मैदान की प्रकृति से छेड़छाड़ को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक उषा शर्मा काफी सख्त रुख अख्तियार किये हुये है। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना सर्किल के अधीक्षक पुरातत्वविद् डॉ बी एन सिन्हा से नालंदा प्रशासन को नोटिश जारी करने को कहा है।