” राजधानी रांची में इन दिनों लाल खून से काली कमाई का कारोबार जोरों शोर से चल रहा है और अपने जीवन को बचाने के लिए लोगों को महंगे दरों पर खरीदने पड़ रहे हैं खून और ब्लड बैंक के नाम से संचालित कर रहे हैं अवैध रूप से खून का सौदा “
मालूम हो कि रेड क्रॉस ब्लड बैंक पिछले कई वर्षों से सिर्फ अप्लाई कर के अपना बिजनेस संचालित कर रखे है जबकि प्रावधान है कि किसी भी ड्रग हाउस या ब्लड बैंक को संचालित करने के लिए स्टेट ड्रग कंट्रोलर (राज्य ओषधि नियंत्रालय) से लाइसेंस लेना होता है। 1999 से यह लाइसेंस इन्हें एक वर्षो के लिए मिला था। उसके बाद 1/1/2003 से 31/12/2007 तक ही 5 वर्षो के लिए लाइसेंस मिला था और अब तक ये सिर्फ अप्लाई फ़ॉर पर चल रहा है। इसका सीधा अर्थ है कि इस ब्लड बैंक के अध्यक्ष खुद जिला के उपायुक्त होने के बावजूद लाइसेंस नहीं मिला है और पिछले 10 वर्षों से यहां लाल खून से काली कमाई का धंधा चल रहा है।
अतुल गेरा बताते हैं कि उनकी एक आरटीआई पर ड्रग कंट्रोलर द्वरा मिली जबाव के अनुसार इनका आखिरी लाइसेंस वर्ष 2007 तक का था। उसके बाद उसका रिन्युअल नहीं हुआ।
डीसी के अनुसार उसे लाईसेंस निर्गत है, उसे रिन्यु्ल करानी है, जो कोलकाता से निर्गत होता है। उनकी जानकार में बिना लाइसेंस के नहीं चल रहा है। पिछले 10 वर्षों से बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक की चलने की बात गलत है।
एक तरफ रेड क्रॉस ब्लड बैंक का खुद का लाइसेंस पिछले 10 वर्षों से नही है और ये बैंक सिक्योरिटी और प्रोसेनिंग चार्ज के नाम पर खुल्लम खुल्ला लूट मचा रखे है, जबकि बैंक के मेडिकल ऑफिसर शुशील कुमार भी इस बात को मानते है, पर कहते है कि वे सिक्योरिटी चार्ज लेते है, जबकि इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी दिल्ली के अनुसार प्रोसेसिंग चार्ज के इलावा इस तरह का कोई भी चार्ज गैर कानूनी है।
जाहिर है कि जब एक दवा दुकान बिना लाइसेंस मिले नही चला सकता है तो राजधानी में एक ब्लड बैंक कैसे संचालित है ये सोचने वाली बात है , लगातार सभी के जानकारी के बावजूद सब मौन क्यों है, इससे यही साबित है कि सैन्या भइल कोतवाल तो फिर डर काहे का।
लाल खून के कारोबार की बिंदुवार झलक………
रेडक्रॉस सोसाइटी को लइसेंस मिला था। लाइसेंस नम्बर —–JH/BB/1256/97, 01/01/1999 से 31/12/2000. , 01/01/2001 से 31/12/2002., 01/01/2003 से पांच वर्षों के लिए 31/12/2007 तक. उसके बाद से नहीं मिला लाइसेंस- इंडियन रेडक्रोस सोसाइटी दिल्ली के अनुसार प्रोसेसिंग चार्ज के अलावा कुछ भी नहीं लेना है, जबकि रांची रेडक्रोस 1200 सिक्योरिटी चार्ज नियम विरूद्ध खुलेआम कर रहा है स्टेट ब्लड ट्रान्स फ्यूज़न ने 14/10 /2008 को प्रोसेसिंग चार्ज के लिए शुल्क निर्धारित किया था। गवर्नमेंट की संस्थाओं के लिए 350 और प्राइवेट के लिए 550 रुपया। गौर किया जाये तो विगत दस वर्षों में करोड़ों की चपत लगायी है। जिले के उपायुक्त इसके अध्यक्ष हैं।
- दिनांक 06/03 /2017 को 1 ) पुतली बिलुंग, औषधि निरीक्षक पूर्वी सिंघभूम 2) प्रतिभा झा निरीक्षक रांची 3 ) शैल अम्बष्ठ औषधि निरीक्षक रांची के द्वारा संयुक्त रूप से जाँच किया गया जिसमे ब्लड बैंक का लइसेंस के लिए आवेदित है साथ ही चार्ज के नाम पर भी वसूली हो रही है। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं ।
- झारखण्ड स्टेट ब्लड ट्रान्सफ्यूज़न कौंसिल और नेशनल एड्स कण्ट्रोल आर्गेनाईजेशन द्वारा बार बार ब्लड बैंकों को किसी भी प्रकार के सिक्योरिटी चार्ज लेने के लिए पत्र के माध्यम से मना किया था। लेकिन रेडक्रॉस अपनी मनमानी से अपना नियम चलाता रहा
- बिना लइसेंस एक दवा दुकान नहीं खुल सकती। 10 वर्षों से ब्लड बैंक के लइसेंस क्यों नहीं मिला ? अगर रेडक्रॉस सोसाइटी लाइसेंस की अहर्ता को पूरी करता तो लाइसेंस क्यों नहीं मिलता।