लेकिन शुरुआती दौर से ही इस भवन को लेकर कई गणमान्य संपादक-पत्रकार लोग खूब चर्चित होते रहे हैं।
बात चाहे पद्मश्री बलवीर दत जी का हो या उनकी अगुआई में सामने आये कई अन्य लोग।
हाल ही में एक स्थानीय दैनिक के स्थानीय संपादक ने एक ऐसी तुगलकी फरमान जारी कर दिया कि प्रायः पत्रकार बमक उठे।
उक्त संपादक द्वारा जारी सूचना के आधार पर अखबारों में प्रमुखता से यह खबर छपी कि प्रेस क्लब की सदस्यता शुल्क 21 सौ रुपये होगी।
बात जब बिगड़ती नजर आई तो सदस्यता शुल्क 11 सौ रुपये कर दी गई।
फिलहाल प्रेस क्लब पर अपनी-अपनी दबदबा कायम करने को लेकर कतिपय स्वंभू पत्रकारों ने अलग-अगल गुट बना कर सदस्यता अभियान में जुटे हैं।
इसके लिये माइक्रो सोशल मीडिया का खूब सहारा लिया जा रहा है।
एक ऐसे ही माइक्रो सोशल मीडिया के व्हाट्सएप्प ग्रुप की जानकारी मिली है।
इस ग्रुप में प्रायः वे लोग ही जुड़े हैं, जो वर्तमान रांची प्रेस क्लब के तदर्थ कमटि सदस्य हैं। वे रांची के सर्वमाननीय संपादक-पत्रकारों में शुमार हैं।
फिर भी, इस ग्रुप में जिस तरह की चर्चाएं हो रही है। उसमें कंटेंट डाले जा रहे हैं। वह काफी विचलित करने वाले हैं।
समझ में नहीं आता कि इस तरह के प्रचार-विचार से वे पत्रकारों की कौन सी मजबूत फौज खड़ी करनी चाह रहे हैं?
हमारे पास प्रेस क्लब सदस्यता अभियान ग्रुप की ताजातरीन जिस तरह की स्नैपशॉट उपलब्ध है, उसे देख कर आगे विशेष लिखने की जरुरत महसुस नहीं होती।
क्योंकि तस्वीरें और उसे लेकर माननीय पत्रकारों के कंमेंट खुद वयां कर डालती है कि जब रात है ऐसी मतवाली फिर सुबह का आलम क्या होगा?
बहरहाल, माइक्रो मीडिया व्हाट्सएप्प पर संचालित प्रेस क्लब सदस्यता अभियान ग्रुप में पंकज उदास की मदस्त वीडियो भी डाली गई है। जिसमें दारु यानि शराब चलीसा का बड़ा कर्णप्रिय ध्वनि सुनाई देती है।
आईये आप भी ग्रुप में शामिल रांची के माननीय संपादक-पत्रकारों की पसंद गीत-संगीत का आप भी लुत्फ उठाईये……..